रतन गुप्ता उप सम्पादक
गोरखपुर स्टेशन का स्थापना दिवस कभी मनाया नहीं गया। अब रेल प्रशासन ने स्थापना दिवस को यादगार बनाने का निर्णय लिया है। ताकि यात्रियों को भी इस रेलवे के महत्व और इसकी उपलब्धता के बारे में पता चल सके। साथ ही नई पीढ़ी यह जान सके कि इस रेलवे की विकास यात्रा कैसी रही और कौन से ऐसी उपलब्धियां रही हैं।
पहली बार पूर्वोत्तर रेलवे में अब स्टेशनों का स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इसकी शुरुआत गोरखपुर से होगी। यह स्टेशन 15 जनवरी 1885 को अस्तित्व में आया था। लिहाजा 15 जनवरी 2024 को गोरखपुर जंक्शन पर उत्सव जैसा माहौल रहेगा। प्लेटफॉर्म पर ही केक काटा जाएगा और वंदे भारत ट्रेन के यात्रियों को गुलाब का फूल देकर उनका वेलकम किया जाएगा। इसके साथ ही एसी लाउंज के पास एक फोटो गैलरी लगाई जाएगी। इसमें पूर्वोत्तर रेलवे की विकास यात्रा से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहरों को रखा जाएगा। रेल प्रशासन ने अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
गोरखपुर जंक्शन को अंग्रेजों ने बनाया था। रेलवे के दस्तावेज के मुताबिक उस दौरान सोनपुर से छपरा, गोरखपुर होकर मनकापुर तक मेन लाइन बिछाई गई थी। स्टेशन की इमारत एक मंजिला थी और आधा दर्जन कमरे थे। टाइल्स वाली छत थी। पूर्वी छोर पर स्थित कमरा रिफ्रेशमेंट रूम था। सिग्नलिंग बहुत ही आदिम थी।
स्टेशन मास्टर के कार्यालय के सामने प्लेटफॉर्म पर एक चार लीवर फ्रेम, सामने वाले बिंदुओं पर चार घरेलू संकेतों को नियंत्रित करता था। उस समय केवल बिजली से जगमगाते बंगले एजेंट और लोको सुपरिंटेंडेंट के थे। लाइट एजेंट के परिसर में एक छोटे से प्लांट से आती थी, जिसे उन्होंने अपने खर्च पर लगाया था। यात्रियों के बैठने के लिए एक वेटिंग रूम था। जबकि अंग्रेजों के लिए वीआईपी रूम भी था। इसमें किसी और को जाने की इजाजत नहीं थी।
गठन के बाद से अभी तक स्टेशन का स्थापना दिवस कभी मनाया नहीं गया। अब रेल प्रशासन ने स्थापना दिवस को यादगार बनाने का निर्णय लिया है। ताकि यात्रियों को भी इस रेलवे के महत्व और इसकी उपलब्धता के बारे में पता चल सके। साथ ही नई पीढ़ी यह जान सके कि इस रेलवे की विकास यात्रा कैसी रही और कौन से ऐसी उपलब्धियां रहीं हैं।
स्टेशन की ऐतिहासिकता के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से प्रमुख स्टेशनों का स्थापना दिवस मनाए जाने की तैयारी की जा रही है। इस अवसर पर फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से स्टेशन के इतिहास को यात्रियों को दिखाया जाएगा।-पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ-एनईआर