रतन गुप्ता उप संपादक
हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकवादी नसीर अहमद नेपाल सीमा सोनौली बार्डर से हुआ था गिरफ्तार खोले थे की राज———————-
पाकिस्तान से नेपाल और नेपाल से भारत में आतंकियों का घुसपैठ सोनौली बार्डर से जारी है सीमा सुरक्षा और जांच के नाम पर एसएसबी जांच नहीं कर रही है फार्मेन्टी कर रही एसएसबी ने की बड़े बड़े कैमरे लगा रखी है उसे कुछ भी नजर नहीं आ रहा है । सोनौली बार्डर पर सुरक्षा जांच पुरी तरह फेल हो चुका है । भारत सरकार को चाहिये की किसी दुसरे एजन्सी को तैनाद करें । अगर इधर देखा जाय तो एक बर्ष के अन्दर कोई अच्छी सफलता नहीं मिली है ।
बहुत दिनों पहले सोनौली बार्डर पर सशस्त्र सीमा बल ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी नसीर अहमद को सोनौली नेपाल सीमा से उस समय पकड़ा, जब वह कश्मीरी शॉल विक्रेता के भेष में भारत में घुसने की कोशिश कर रहा था।
सशस्त्र सीमा बल ने शाम को नेपाल सीमा पर सोनौली पोस्ट से नसीर अहमद (34) को पकड़ा था ।
उस समय अधिकारियों के मुताबिक हिज्बुल मुजाहिदीन के एक आतंकवादी को उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में भारत-नेपाल सीमा पर उस समय पकड़ा गया, जब वह आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए देश में घुसने की कोशिश कर रहा था।
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के बनिहाल के रहने वाले नसीर अहमद उर्फ सादिक (34) को सोनौली सीमा चौकी से पकड़ा गया। 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा की रक्षा करने वाले सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने कहा, वह शॉल और कालीन विक्रेता की आड़ में नेपाल से भारत में घुसने की कोशिश कर रहा था।
इसमें कहा गया है कि उसके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट और पड़ोसी देश के पंजाब प्रांत में गुजरात जिले के लाला मूसा गांव का निवासी होने का पहचान पत्र था। आगे की जांच के लिए अहमद को उत्तर प्रदेश एटीएस को सौंप दिया गया।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, अहमद 2002-03 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था और पाकिस्तान चला गया था। वह कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। 2002 में बनिहाल में सेना के साथ मुठभेड़ के दौरान उन्हें गोली लग गई थी।
एसएसबी ने उस समय कहा था की “अहमद सितंबर 2003 से पाकिस्तान में रह रहा था। वह 2003 में भारत में एक एसटीएफ शिविर पर हमले सहित नागरिकों और सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमलों में शामिल था। उसे एक विशिष्ट मिशन के लिए उसके हैंडलर द्वारा भारत भेजा गया था।” प्रवक्ता ने कहा.
प्रवक्ता ने कहा था कि जब सोनौली में एसएसबी कर्मियों ने उनसे उनका पहचान प्रमाण मांगा, तो अहमद कोई भी सहायक दस्तावेज पेश करने में असमर्थ रहे। अर्धसैनिक बल ने आतंकवादी से प्रारंभिक पूछताछ के आधार पर कहा कि अहमद और उसका सहयोगी मोहम्मद शफी 10 मई को पाकिस्तान के फैसलाबाद से शारजाह होते हुए काठमांडू पहुंचे।
काठमांडू में शफ़ी उनसे अलग हो गए. एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने कहा था कि अहमद का नाम जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बनाई गई उन लोगों की सूची में नहीं है, जो आतंकवाद छोड़ना चाहते हैं और पुनर्वास के लिए कश्मीर घाटी लौटने के इच्छुक हैं।
प्रवक्ता नेउस समय कहा था”अहमद को एसएसबी ने अपनी खुफिया जानकारी और प्रोफाइलिंग के आधार पर पकड़ा था।” एसएसबी ने कहा कि अहमद “भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने और भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के इरादे से” एक बस में भारत-नेपाल सीमा पर पहुंचा था। . “वह भारत के एक हैंडलर के संपर्क में था, जो उसके खाते में समय-समय पर पैसे जमा करता था।
प्रवक्ता ने उस समय कहा था’कि ‘उनके निर्देश पर, वह आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारत आया था, लेकिन एसएसबी ने उसे पकड़ लिया।” उन्होंने बताया कि उसे पैसे मुहैया कराने वाले हैंडलर की पहचान कर ली गई है। अहमद 2003 में 23 लोगों के एक समूह में पाकिस्तान चला गया था। हिजबुल कैडर में शामिल होने के लिए। उन्हें भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने और जम्मू में भारतीय सुरक्षा बलों के साथ लड़ने के उद्देश्य से हिजबुल मुजाहिदीन, आईएसआई और पाकिस्तानी सेना द्वारा पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अटक में निहत्थे युद्ध और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था। और कश्मीर”।
प्रवक्ता ने कहा था कि, ”अहमद ने खुलासा किया कि वह विभिन्न शिविरों में रहने के दौरान हिजबुल कैडरों को कुरान का उपदेश देता था।” पाकिस्तान में, उसने 2 नवंबर 2009 को गुजरात जिले की आशा नईम (25) से शादी की। उसके दो बेटे थे। उसने एक अधिकारी ने कहा, पाकिस्तान के गुजरात जिले में होजरी व्यवसाय।
एसएसबी ने उस समय कहा था कि 2002 में जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान अहमद को दो गोलियां लगीं। वह उन आतंकवादियों में से एक था, जिन्होंने उसी वर्ष चुनाव के दौरान बारूदी सुरंग विस्फोट किया था, जिसमें दो नागरिक और कई सैन्यकर्मी मारे गए थे।
प्रवक्ता ने उस समय बताया कि अहमद उस आतंकवादी टीम का हिस्सा था जिसने 2003 में बनिहाल के पास रामसू में स्पेशल टास्क फोर्स कैंप पर हमला किया था। सोनौली बार्डर से की घटनाएं घुस पैठ की हो चुकी है । और घरपकड हुए हैं लेकिन इधर सोनौली ,नौतनवा ,भगवानपुर ,ठुठीबारी बाडरो की बात करें तो इस बर्ष सुरक्षा एजन्सी ने कोई अच्छी बरामदगी नहीं की है । बाडर पर रुटीन बरामदगी होता रहती है तस्कर भागते हैं कुछ पकड़े जाते हैं लेकिन अधिकतर भाग जाते हैं ।