रतन गुप्ता उप संपादक
नेपाली मूल वाले ब्रोकर सीमा पर सोनौली भारत में सटे चार-पांच छोटे बार्डर की पगडंडियों से होकर सीधे निचलौल, नौतनवा , सोनौली पहुंच जाते हैं। यहां के कुछ सराफा व्यापारियों की दखल भी पिछले कुछ दिनों से शहर के सोनौली ,नौतनवा कुल्हीई के अलावा गोरखपुर अलीनगर और गोलघर के बाजार में बढ़ी है।
भगवानपुर ,ठुठीबारी ,खनुवा , सोनौली ,नौतनवा रूट पर सख्ती बढ़ने के बाद अब तस्करों ने सोने की तस्करी के लिए नेपाल की पगडंडियों को चुना है। तस्करी के नेटवर्क में शामिल नेपाल के स्थानीय लोग बार्डर पर पगडंडियों के रास्ते साइकिल के सहारे स्कूल के बैग या झोले में सोने के बिस्किट रखकर सोनौली और निचलौल पहुंचा देते हैं। इसके बाद नेटवर्क की दूसरी टीम सोना को गंतव्य तक पहुंचाती है।
खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, नेपाल की सीमा से सटे गांवों के लोगों को तस्करों ने अपने नेटवर्क में शामिल कर रखा है। ये लोग सोने के बिस्किट को बैग में रखकर बड़े आराम से साइकिल चलाते अड्डे तक पहुंचा देते हैं। एक दिन में दो से तीन बार सोने की खेप को संबंधित तक पहुंचा देते हैं। सोने की तस्करी के लिए निचलौल खास सेंटर बन गया है। यहां पुराना मार्केट, सिनेमा रोड के दो छोटे दुकानदारों तक सोना पहुंचाने का जिम्मा इन्हीं नेपाली मूल के लोगों का होता है।
नेपाली मूल वाले ब्रोकर सीमा पर भारत में सटे चार-पांच छोटे बार्डर की पगडंडियों से होकर सीधे निचलौल पहुंच जाते हैं। यहां के कुछ सराफा व्यापारियों की दखल भी पिछले कुछ दिनों से शहर के हिंदी बाजार के अलावा अलीनगर और गोलघर के बाजार में बढ़ी है। सूत्रों के मुताबिक, नेपाल से अवैध सोने की खेप निचलौल नौतनवा का व्यापारी अपनी गाड़ी से लेकर शहर में आता है। गोपी गली वाले दुकानदार के अलावा बाजार के दो और व्यापारियों के पास सोने की डिलीवरी कर देता है।
यहां से चार घंटे के भीतर मोटी रकम लेकर वापस लौट जाता है। पिछले दिनों नेपाल में पकड़े गए सोने को गोरखपुर पहुंचाने की तैयारी चल रही थी। एजेंसी के पास सटीक सूचना थी कि इस बार सोने की खेप को गोरखपुर वाले व्यापारी, भारत में आने के बाद खुद लेने जाएंगे। नेपाल के बिचौलिए के सहारे से ये बार्डर पार करवाएंगे। इसी बीच खेप पकड़े जाने से अवैध सोने की तस्करी करने वाले दबोचे नहीं जा सके।
तस्करी के सोने से 20 फीसदी रकम जाती धंधेबाजों के पास
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले पंद्रह दिन से सोने की औसतन कीमत 51 लाख रुपये प्रति किलो चल रही है। इस सोने पर 12.5 फीसदी कस्टम ड्यूटी व 2.5 प्रतिशत सेस लगता है। सराफा मंडियों में एसबीआई और यस बैंक से सोना आता है। बैंकों से खरीदने पर कस्टम ड्यूटी व सेस चुकाने पर प्रति किग्रा सोना की कीमत करीब 9.00 लाख रुपये बढ़ जाती है।
इस एक किग्रा सोना को एक नंबर में बेचा जाए तो 3 फीसदी जीएसटी के हिसाब से 1.80 लाख रुपये ग्राहक से वसूलना होगा। तस्करी से खरीदा गया सोना कैश में बेचा जाता है। जीएसटी को भी जोड़ दिया जाए तो सीधे-सीधे 18 फीसदी धंधेबाजों की जेबों में चला जाता है। यही वजह है कि यह धंधा बढ़ रहा है। तस्करी के सोने को खपाने का एक सिंडीकेट है। इस सिंडीकेट में सोने को बेचने, खरीदने एवं मध्यस्थता करने वाले शामिल होते हैं। नेपाल, कोलकाता आदि से आने वाले तस्करी के सोने पर कस्टम ड्यूटी व सेस का जो पैसा बच जाता है वह बेचने, खरीदने एवं मध्यस्थता करने वालों में बंट दिया जाता।
तस्करी के लिए ये रास्ते हैं मुफीद
सूत्रों के मुताबिक, तस्करी का सोना नेपाल, कोलकाता, जयपुर व दिल्ली के रास्ते आगरा, कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर पहुंच रहा है। इसमें भी सबसे ज्यादा आवक नेपाल एवं कोलकाता के रास्ते से होती है।
ऐसे बनाते हैं सोने को खरा
बिस्किट की शक्ल में आने वाले तस्करी के सोने पर बैंक का नाम और फर्जी नंबर दर्ज कर देते हैं। ग्राहक को झांसा देने के लिए यह सब किया जाता है। यह काम रिफाइनरी में होता है। हिंदी बाजार की रिफायनरी में भी ये खेल बड़े जोरों पर होता है। केंद्रीय जांच एजेंसी की टीम जल्दी ही बाजार में कार्रवाई कर सकती है।बहुत दिनों से एसएसबी ,पुलिस ,कस्टम ने बरामदगी करने में कोई सफलता नहीं पाई है ।