रतन गुप्ता उप संपादक
Bharat in 2024: वर्ष 2024, भारत के लिए सामान्य नहीं रहने वाला। इस साल देश की राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक दिशा, आने वाली पीढ़ियों के लिए तय होने वाली है। देश ना सिर्फ अगले पाँच साल के लिए केंद्र में एक नई सरकार चुनने जा रहा है, बल्कि इसी दौरान भारत आर्थिक महाशक्ति के रूप में अवतरित होगा या नहीं, यह भी सुनिश्चित होना है। अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व में भारत की भूमिका कितनी होगी, यह साल उसकी पृष्ठभूमि तैयार कर सकता है। डालते हैं एक नजर साल 2024 की चुनौतियों और अवसरों पर। 2024 की राजनीतिक चुनौतियाँ PM Modi Ayodhya visit: अयोध्या को लेकर RJD प्रवक्ता Manoj jha ने क्या कहा | हर पाँच साल पर होने वाले लोक सभा के चुनाव इसी साल 2024 में होने जा रहे हैं। दरअसल चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। दिसंबर 2023 में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम, जिसे लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा गया, से यह कहना जल्दीबाजी होगी कि जनता किसी खास पार्टी के लिए अपना मन बना चुकी है। इसके अलावा जनवरी 2024 में केवल अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से भी कोई पार्टी चुनाव जीत ही जाएगी, यह भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि भारत में कब जनता, क्या निर्णय लेगी, यह कोई नहीं जानता। धर्म और जाति के अलावा भी भारत का जनमानस सरकारों के कामकाज और पार्टियों की योजनाओं का ख्याल वोट डालते समय जरूर रखता है। भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार 50 प्रतिशत वोट प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। 2019 के चुनाव में एनडीए ने 353 सीटों पर भारी जीत हासिल की थी इस बार 400 का लक्ष्य रखा है। तब के यूपीए ने 2019 में 91 सीटों पर सफलता प्राप्त की थी, अब इंडिया गठबंधन 2024 में एनडीए को हराने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। 28 पार्टियों वाला इंडिया गठबंधन बीजेपी की चुनावी मशीनरी के मुकाबले का दम भर रहा है, भले ही उसके सामने कई चुनौतियां हैं। 2024 यह तय करेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं कि उनकी राह में इंडिया गठबंधन कुछ रोड़े अटका पाता है। 2019 के चुनाव में मिले मत प्रतिशत को देखें तो बीजेपी या एनडीए को 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में करीब 50 फीसदी या उससे ज्यादा वोट हासिल हुए थे, लेकिन पंजाब, कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र, तमिलनाडु, केरल बीजेपी के लिए चुनौतियों वाले राज्य बने हुए हैं। हालांकि पिछले चुनाव में बंगाल और ओडिसा में बीजेपी का वोट पर्सेन्ट लगभग 40 प्रतिशत रहा था, पर इस बार उसे बनाए रखना या उसमें वृद्धि करना एक बड़ा टास्क होने वाला है। देश की अर्थव्यवस्था को 2024 से उम्मीद 2023 की जीडीपी वृद्धि करीब-करीब 7 प्रतिशत रही है। बेहतर राजकोषीय स्थिति के साथ नए साल में प्रवेश का मतलब है कि भारत के पास आगे अपने लक्ष्य तक पहुँचने की सभी सामग्रियां मौजूद हैं। वैश्विक मंदी के बावजूद यह यदि संभव हुआ है तो यह भविष्यवाणी की जा सकती है कि इस साल 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए लांचिंग पैड तैयार हो सकेगा। देश की जनसांख्यिकीय बढ़त और चीन की धीमी गति के कारण भी दुनिया के लिए भारत एक आकर्षक डेस्टिनेशन बना रहेगा। विशेषज्ञ वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में जीडीपी में वृद्धि दर का अनुमान 7.6 प्रतिशत लगा रहे हैं और पूरे साल के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत बताया जा रहा है। यदि मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर लाने में सफलता प्राप्त होती है, व्यापार घाटा कम होता है और देश का विदेशी मुद्रा भंडार अब 620 बिलियन डॉलर के ऊपर बना रहता है तो पूंजीगत निवेश का एक बहुत बड़ा अवसर बन सकता है। सकल कर संग्रह में 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज 2023 में की की गई और 2023 में इक्विटी बाज़ारों में 20% की वृद्धि हुई है। इसका सीधा सा मतलब है कि अधिकांश पैरामीटर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए उपलब्ध हैं। पर 2024 के लिए सबकुछ अच्छा ही नहीं है। 2024 में कई चुनौतियाँ भी आने वाली हैं। निजी निवेश अब भी खराब स्थिति में है। कॉरपोरेट ऋण में बढ़ोतरी के संकेत हैं। अभी आर्थिक विकास का फल समाज के सभी वर्गों तक नहीं पहुंच रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा समस्या दिखाई दे रही है। नौकरियों की भी कमी युवाओं के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय संबंध 2024 की शुरुआत के साथ यह स्पष्ट है कि वैश्विक जोखिम और अनिश्चितताएं बढ़ने की संभावना है। यूक्रेन में युद्ध 2024 के आगे बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। पुतिन रूस के लिए निर्णायक हार को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं और ना जेलेंसकी हथियार डालने को राजी हैं। 2024 में अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियाँ बदलने वाली हैं। विश्व के तीन सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत, अमेरिका और ब्रिटेन तीनों में चुनाव हो रहे हैं। इसके अलावा पड़ोस के पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी लोग अपनी पसंद की सरकार चुनने वाले हैं। अभी जिस तरह से भारत के मजबूत संबंध सभी प्रमुख देशों से हैं, उसे नई सरकारों के साथ बनाए रखना भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा। पाकिस्तान में नई सरकार नई दिल्ली के साथ यदि संबंध सुधारती है तो दोनों देशों की ऊर्जा और संसाधन अच्छे कामों में लगाये जा सकते हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी भारत की सुरक्षा और कनेक्टिविटी के लिए आवश्यक है। चीन के साथ सीमा गतिरोध निरंतर बना हुआ है। इसकी संभावित वृद्धि को देखते हुए भारत की तैयारी जारी है। पश्चिम एशिया में इज़राइल-हमास संघर्ष के कारण भारत इसके अंतिम प्रभाव का आकलन कर रहा है और उसी के अनुसार अपने संबंधों और सिद्धांतों को संतुलित करने में लगा है।