रतन गुप्ता उप संपादक
अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) में एमबीबीएस की एक छात्रा ने संस्थान के वरिष्ठ अफसर पर अपने कार्यालय कक्ष में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। घटना करीब 10 दिन पहले की है। चार दिन पहले जब छात्रा ने खुद को कमरे में बंद कर लिया, तब उसके घरवालों को जानकारी हुई और वे एम्स पहुंचे। कार्यकारी निदेशक ने मामले की जांच विशाखा कमेटी की सौंप दी है। उधर, एम्स प्रशासन ने जांच पूरी होने तक आरोपी अफसर के परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी है।
जानकारी के मुताबिक, करीब 10 दिन पहले एमबीबीएस की एक छात्रा हॉस्टल के कमरे के आवंटन के संदर्भ में वरिष्ठ प्रशासनिक अफसर के कार्यालय पहुंची थी। आरोप है कि इस दौरान अफसर ने छात्रा के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। छात्रा वहां से भागकर हॉस्टल पहुंच गई। घटना के बाद से छात्रा सदमे में बताई जा रही है। वह तीन दिन तक कमरे में बंद रही। इस दौरान उसने अपने परिजनों को सूचित किया।
बताया जा रहा है कि छात्रा का चार दिन तक मानसिक रोग विभाग में इलाज भी हुआ है। पीड़िता ने ई-मेल कर एम्स प्रशासन को उत्पीड़न की जानकारी दी है। उधर, मामले की जांच कर रही विशाखा कमेटी की रिपोर्ट शुक्रवार तक आने की उम्मीद है। इसके बाद कार्रवाई होगी। वहीं, आरोपी अफसर भी कई दिन से दफ्तर नहीं आ रहे हैं।
एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल ने बताया कि शिकायती ई-मेल मिला है। यह गंभीर व संवेदनशील मामला है। आरोपों की सत्यता परखी जा रही है। छात्रा से बात की गई है। उसे परिजनों के साथ रखा गया है। उनकी सुरक्षा में एम्स के कर्मचारी तैनात हैं। अगर घटना सही पाई गई तो दोषी अफसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वह स्वयं गर्ल्स हाॅस्टल गए थे। सभी छात्राओं से कहा है कि अगर कहीं कुछ गलत हो रहा है तो तत्काल अपनी समस्या बताएं।