रतन गुप्ता उप संपादक
करीब 500 सालों के संघर्ष के बाद अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से नेपाल भी खुशी में झूम रहा है. वहां की सरकार ने इस अवसर को दुनियाभर के करोड़ों सनातनियों के लिए गर्व का क्षण बताया है.
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद दुनियाभर के सनातनियों में जबरदस्त खुशी का माहौल बना हुआ है. भारत समेत नेपाल, मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद समेत कई देशों में दीये जलाकर प्रभु राम के आगमन की खुशियां मनाई गई. अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने से नेपाल के लोग और सरकार ने भी खुशी जताई है. नेपाल के विदेश मंत्री एन पी सऊद ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह सनातन धर्म के सभी अनुयायियों के लिए गर्व का क्षण है. उन्होंने कहा कि भगवान राम और माता सीता भारत और हिमालयी राष्ट्र के बीच गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों के प्रतीक हैं.
‘सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए गर्व का क्षण’
नेपाली विदेश मंत्री सऊद ने देर रात सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और नेपाल की बेटी माता सीता साहस, बलिदान, न्याय और धार्मिकता के प्रतीक थे.’ उन्होंने रामलला के विग्रह की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, ‘जय श्री राम! माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ओर से अयोध्या राममंदिर का उद्घाटन और पवित्र प्राण प्रतिष्ठा समारोह का समापन सनातन धर्म के सभी अनुयायियों के लिए गर्व का क्षण है.’
दोनों देशों में सभ्ययागत जुड़ाव का प्रतीक
सऊद ने कहा कि भगवान राम और माता सीता नेपाल और भारत के बीच गहन सांस्कृतिक और सभ्यतागत जुड़ाव” का प्रतीक हैं. उनके गुण और आदर्श हमें मानवता की सेवा की ओर ले जाते हैं. नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने भी इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी. उन्होंने मंगलवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘अयोध्या राममंदिर के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को बधाई. पवित्र प्राण प्रतिष्ठा समारोह सनातन धर्म के सभी अनुयायियों के लिए गर्व का क्षण है. जय श्री राम.’
‘जनकपुर में जलाए गए सवा लाख दीये’
माता सीता की जन्मस्थली नेपाल के जनकपुरधाम को सोमवार को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए सजाया गया था. मंदिर प्राधिकारियों ने जानकी मंदिर को मालाओं और फूलों से सजाया था. अयोध्या में राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का जश्न मनाने के लिए जानकी मंदिर में लगभग 1.25 लाख मिट्टी के दीपक जलाए गए. माता सीता का दूसरा नाम जानकी है, जो जनकपुर के राजा जनक की पुत्री थीं. यह अयोध्या से 500 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरी तरह आध्यात्मिक था.
‘राजनीतिक नहीं आध्यात्मिक था कार्यक्रम’
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर जाने- माने एक्टर रजनीकांत की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरी तरह से आध्यात्मिक था और उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्हें प्रभु के दर्शन करने वाले पहले जत्थे में शामिल होने का सौभाग्य मिला. उनका यह रिएक्शन विपक्ष के इन आरोपों के जवाब आया कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम राजनीतिक आयोजन था.
‘मैंने बहुत अच्छे से दर्शन किए’
मीडिया से बात करते हुए रजनीकांत ने कहा,‘मैंने बहुत अच्छे से दर्शन किए, मैं सबसे पहले दर्शन करने वाले 150 लोगों में शामिल था. मैं बहुत खुश हूं. यह ऐतिहासिक घटना आध्यात्मिक है. यह जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति एक जैसे विचार रखता हो. जो इसे राजनीतिक कह रहे हैं, यह उनका अपना विचार हो सकता है. मेरा कहना है कि यह आध्यात्मिक है.’ बताते चलें कि कांग्रेस और वामपंथी दलों ने सोमवार को हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह को राजनीतिक आयोजन बताकर बहिष्कार किया था.