रतन गुप्ता उप संपादक
अमनमणि त्रिपाठी को कांग्रेस महाराजगंज से लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है। अमनमणि के यहां से चुनाव लड़ने पर राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं।
नौतनवां से पूर्व विधायक रहे अमनमणि त्रिपाठी ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। महराजगंज के नौतनवां से विधायक रहे अमनमणि त्रिपाठी ने दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ली। अमनमणि त्रिपाठी अमरमणि त्रिपाठी के बेटे हैं। अमरमणि त्रिपाठी भी विधायक और मंत्री रह चुके हैं। अमरमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi) बाहुबली नेता रहे हैं। अब अमनमणि त्रिपाठी के कांग्रेस में आने के बाद पूर्वांचल के महाराजगंज सहित कई लोकसभा सीटों पर इसका असर दिख सकता है। अमनमणि को कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बना सकती है।
यहां से मिल सकता है टिकट
अमनमणि त्रिपाठी को कांग्रेस महाराजगंज से लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है। अमनमणि के यहां से चुनाव लड़ने पर राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं। अमनमणि के चुनाव लड़ने से भाजपा (BJP) की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।
बाहुबली नेता हैं
अमनमणि त्रिपाठी बाहुबली नेता हैं। वे नौतनवां से निर्दल विधायक भी रह चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर अमनमणि को टिकट दिया गया तो महाराजगंज लोकसभा का चुनाव ( Lok Sabha Election 2024) भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।
चुनाव लड़ने को कांग्रेस को नहीं मिल रहे प्रत्याशी
यूपी में कांग्रेस को 17 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ना है। चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को प्रत्याशी भी नहीं मिल रहे हैं। वहीं लोकसभा उम्मीदवारी के मद्देनजर इस हफ्ते उत्तर प्रदेश कांग्रेस में तीन ज्वाइनिंग हुई है। यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने तीन चेहरों को पार्टी का पटका पहना कर कांग्रेस ज्वाइन कराया है। उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। बुलंदशहर के लिए गजराज सिंह और बांसगांव के लिए सदल प्रसाद बीएसपी से कांग्रेस में आए हैं। अब अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि को कांग्रेस ने मौका दिया है।
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 17 सीटें दी हैं
माना जा रहा है कि महाराजगंज सीट के लिए अमनमणि त्रिपाठी को कांग्रेस में शामिल कराया गया है। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 17 सीटें दी हैं। सदल प्रसाद गोरखपुर के बांसगांव विधानसभा से विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वे 2019 के लोकसभा चुनाव में बांसगांव से बीएसपी के उम्मीदवार थे। वहीं गजराज सिंह हापुड़ विधानसभा से चार बार के विधायक रहे हैं। कहा जा रहा है कि गठबंधन में मनपसंद सीट चली जाने से भी कांग्रेस नेता लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी दिक्कत प्रत्याशी उतारने की खड़ी हो गई है।