रतन गुप्ता उप संपादक
रिटायर्ड आईएएस अफसर रमेश अभिषेक के पीछे सीबीआई के बाद अब ईडी भी पड़ गई है. ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने डीपीआईआईटी के पूर्व सचिव रमेश अभिषेक के ठिकानों पर छापेमारी की है.
ईडी ने डीपीआईआईटी के पूर्व सचिव रमेश अभिषेक के ठिकानों पर छापे मारे.
ईडी ने डीपीआईआईटी के पूर्व सचिव रमेश अभिषेक के ठिकानों पर छापे मारे.
: रिटायर्ड आईएएस अफसर रमेश अभिषेक के पीछे सीबीआई के बाद अब ईडी भी पड़ गई है. ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने डीपीआईआईटी के पूर्व सचिव रमेश अभिषेक के ठिकानों पर छापेमारी की है. ईडी ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच के तहत यह एक्शन लिया है. ईडी के आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. इससे पहले आय से अधिक संपत्ति के इसी मामले में सीबीआई भी रमेश अभिषेक के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है और छापेमारी की थी.
दरअसल, ईडी का मामला डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के पूर्व सचिव अभिषेक के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा हाल में दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित है. 1982 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी रमेश के खिलाफ सीबीआई ने फरवरी में छापेमारी की थी. वह डीपीआईआईटी से 2019 में रिटायर हुए थे. सूत्रों ने बताया कि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत रमेश अभिषेक के ठिकानों की तलाशी ले रही है.
सीबीआई ने क्या आरोप लगाया
दरअसल, आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि रमेश अभिषेक ने रिटायरमेंट के बाद उन निजी कंपनियों से परामर्श शुल्क के रूप में ‘बड़ी रकम’ प्राप्त करके खुद को ‘अवैध रूप से’ समृद्ध किया, जिनके मामले में उन्होंने सेवा में रहते हुए निपटाए थे. सीबीआई और ईडी ने उनकी बेटी वानेसा के खिलाफ भी मामले दर्ज किए हैं.
कौन हैं रमेश अभिषेक
दरअसल, रमेश अभिषेक 1982 बैच के आईएएस ऑफिसर रह चुके हैं. वह बिहार कैडर के आईएएस रहे हैं. हालांकि, वह रहने वाले ओडिशा के हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा से रिटायर होने के बाद अभिषेक एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड में शामिल हुए. कहा जाता है कि भारत सरकार के मेक इन इंडिया कैंपेन में उनकी बड़ी भूमिका रही है. रमेश अभिषेक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और सीबीआई ने लोकपाल के आरोपों पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था. लोकपाल ने आरोप लगाया था कि पिता-पुत्री ने उन अनेक कंपनियों और संस्थाओं से पेशेवर शुल्क के रूप में भारी रकम प्राप्त की जिनसे संबंधित मामलों में पूर्व आईएएस अधिकारी ने सेवा में रहते हुए काम किया था.