प्रथम वाहिनी के जाने बाद नेपाल सीमा पर तैनाद एसएसबी की दो बटालियन ,22और66 वी वाहिनी को खास सफलता नहीं मिली

रतन गुप्ता उप संपादक
सोनौली बार्डर से प्रथम वाहिनी के जाने के बाद दोनों वाहिनी को कोई खास सफलता नहीं मिली है———-

नेपाल सीमा पर एसएसबी ने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है। लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली है । भारत नेपाल बार्डर पर सबसे पहले तैनात प्रथम वाहिनी को किया गया था । इनके रहते बड़ी बड़ी कामयाबी मिला था । उनके जाने के बाद उनके जगह पर अब एसएसबी की 22वीं वाहिनी तैनाद है।और इसी के साथ नेपाल सीमा पर एसएसबी की एक अन्य बटालियन की तैनाती की गई है।एक साथ दो दो बटालियन की तैनाती नेपाल सीमा पर हुआ है ।करीब 6 वर्ष तक महराजगंज जिले से लगने वाली नेपाल सीमा की सुरक्षा में लगी एसएसबी की प्रथम वाहिनी को उस समय ताबदला असम के लिए हो गया था ।इनकी जगह 22 वीं वाहिनी आ रही है।22 वीं वाहिनी के साथ अब एसएसबी की 66 वीं वाहिनी भी आ गई है।
महराजगंज जिले से लगने वाली नेपाल सीमा का जायजा लेने आए एसएसबी के डीआईजी डीके सिन्हा ने उस समय बताया की भारत नेपाल की खुली सीमा अनंत अपराधों की जननी है।एसएसबी की सिंगल बटालियन भी अच्छा काम कर रही है।अब दो बटालियन एक साथ मिलकर काम करेंगे तो परिणाम बेहतर होगा।कहा कि एक एक बीओपी के बीच लंबा गैप होने से अपराधी तथा तस्कर इसका नाजायज फायदा उठाने में कामयाब हो जाते थे,अब गैप वाली जगह पर नए बीओपी स्थापित होंगे।नेपाल सीमा के झाड़ झंखाड़ तथा पगडंडी वाले मार्ग जहां हमारी पहुच कभी कभी नहीं हो पाती थी,अब वह भी हमारी निगहबानी में होगा।डीआईजी ने कहा कि कुल मिलाकर नेपाल सीमा की सुरक्षा मजबूत करना एसएसबी का टारगेट है।डीआईजी सिन्हा ने हालाकि इस बात से इनकार किया लेकिन नेपाल सीमा पर एसएसबी के बटालियन बढ़ाए जाने के पीछे भारत सीमा से सटे नेपाली भू क्षेत्र तक चीन का बढ़ता प्रभाव भी है। मालूम हो कि नेपाल दशकों से भारत के आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। इधर दो तीन सालों से हिमालयी देश की धरती से खुलेआम भारत विरोध भी शुरू हो गया है।नेपाल की मौजूदा सरकार की छवि भारत विरोध की है।इधर भारत में टेरर फंडिंग के तार भी नेपाल से जुड़ा होना प्रकाश में आने के बाद नेपाल सीमा की सुरक्षा बढ़ाया जाना लाजिमी हो गया था।नेपाल सीमा से तस्करी सहित अन्य अपराधों में इजाफा भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है।

आतंकियों से रहा है गहरा रिश्ता
नेपाल सीमा से आतंकियों का गहरा रिश्ता रहा है।सोनौली सीमा से मुंबई बम धमाके के आरोपी याकूब मेनन तथा टाइगर मेनन नेपाल भागने में कामयाब हुए थे।इसके अलावा 19 अप्रेल 2014 को दिल्ली पुलिस ने वकार व उसके तीन साथियों को गिरफ्तार किया था।पूछ ताछ में बताया कि वे नेपाल बार्डर से भारत में प्रवेष किए थे।24 अप्रेल 2014 को इंडियन मुजाहीदीन का पुराना चीफ तहसीम अख्तर ने गिरफ्तारी के बाद नेपाल सीमा पर शरण लिए जाने की बात कबूली थी।5 मार्च 2010 को इंडियन मुजाहिदीन का खास सदस्य सतनाम सिंह नेपाल सीमा के बढ़नी बार्डर से गिरफ्तार किया गया था।20 अगस्त 2013 को इंडियन मुजाहिदीन का सह संस्थापक यासीन भटकल बिहार के रक्शोल नेपाल बार्डर से पकड़ा गया था।10 जून 2010 को बब्बर खालशा गुट के माखन सिंह को नेपाल बार्डर के बढ़नी से गिरफ्तार किया गया।नेपाल सीमा आतंकियों के लिए कितनी मुफीद है,इसका पता इसी से चलता है कि गत वर्ष जब आतंकियों के स्वेच्छा से सेरेंडर करने की छूट थी तब तीन सौ से ज्यादा आतंकी नेपाल सीमा पर गिरफ्तारी दी थी।बाद में संबंधित पुलिस के हवाले किया गया।हालाकि आतंकिओं के सरेंडर का नेपाल बार्डर अधिकृत प्वाइंट नही था। आप को बता दें की भारत नेपाल की खुली सीमा से तस्करो पर अंकुश लगा पाने में में दो वाहिनी को सफलता नहीं मिल पा रही है । 22 वी वाहिनी ,और 66वी वाहिनी के मुखबिर तंत्र पुरी तरह से फेल है । सोनौली बार्डर से घुसपैठ जारी है ।

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