रतन गुप्ता उप संपादक
महराजगंज। निचलौल शहर के जिगनहवा वार्ड स्थित कृषि भूमि को भूमाफिया ने धारा 80 के तहत कोर्ट फीस और स्टांप शुल्क में चोरी कर अकृषि करा लिया है। घटना के करीब छह माह बाद एक अधिवक्ता ने आदेश की नकल निकाली तो भूमाफिया और तहसील में तैनात कुछ जिम्मेदारों की करतूत खुलकर सामने आ गई। मामले को उजागर होने के बाद बुधवार को तहसील में हड़कंप मचा रहा। हालांकि तहसील में तैनात जिम्मेदार शुल्क को दोबारा जमा कराने का दावा कर रहे हैं।
न्यायालय की ओर से जारी आदेश पत्र में बताया गया कि सुदामा और बऊधी देवी जिगनहवा वार्ड नगर पंचायत निचलौल के निवासी हैं। इन्होंने धारा-80 राजस्व संहिता अधिनियम-2006 के अंतर्गत वाद प्रस्तुत कर बताया कि निचलौल शहर स्थित खाता संख्या 1737 के आराजी नंबर 805, रकवा 0.202 हेक्टयर में वह सहखातेदार के साथ ही मौके पर काबिज भी हैं। आराजी के रकवा 0.166 हेक्टयर भूमि पर चारों तरफ बाउंड्री व नींव चली है। ऐसे में जमीन को अकृषि घोषित किया जाए। मामले में तहसीलदार से जांच भी कराई गई। 21 सितंबर 2023 को तहसीलदार ने जांच रिपोर्ट में बताया कि निचलौल शहर स्थित आराजी नंबर 805, रकवा 0.202 हेक्टयर भूमि में से रकवा 0.166 हेक्टयर भूमि पर चारों तरफ बाउंड्री व नींव चली है। आराजी संयुक्त खाते की भूमि है। सहखातेदार की ओर से सहमति पत्र दाखिल किया गया है। जमीन पर बैंक अथवा किसी वित्तीय संस्था के पक्ष में बंधक नहीं रखा गया है। ऐसे में तहसीलदार की ओर से भी आराजी में से रकवा 0.166 हेक्टेयर भूमि को अकृषि घोषित किए जाने की संस्तुति पर आदेश भी जारी कर दिया गया। हद तो तब हो गई जब भूमाफिया ने तहसील में तैनात कुछ जिम्मेदारों से मिलीभगत कर जमीन की सर्किल रेट के एक फीसदी लगभग 53,120 रुपये की जगह महज 5320 रुपये उद्घोषणा शुल्क जमा किया। इतना ही नहीं अतिरिक्त कोर्ट फीस स्टांप में भी जिम्मेदारों ने चोरी की है।
निचलौल एसडीएम मुकेश कुमार सिंह ने कहा की अगर मामले में कोई आपत्ति करता है तो जांच कर आदेश को निरस्त करने के साथ ही आगे की कार्रवाई भी की जाएगी।
निचलौल तहसील में नहीं रुक रहा फर्जीवाड़ा
बुधवार को भूमि से संबंधित कार्यों को लेकर तहसील में आए कुछ लोगों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि तहसील में भूमि से संबंधित फर्जीवाड़ा यह कोई नई बात नहीं है। क्योंकि भूमाफिया तहसील में तैनात कुछ जिम्मेदारों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से भूमि की बैनामा, वसीयत, अनुसूचित जाति की जमीनों को बेचना, पट्टे की भूमि को भी बैनामा करा चुके हैं। अब धारा 80 के तहत कोर्ट फीस और स्टांप शुल्क में चोरी कर कृषि भूमि को अकृषि कराने में भी सफल हो चुके हैं। भूमाफिया समय के मुताबिक अपना पैंतरा बदलते रहते हैं। अब वह अनुसूचित जाति की भूमि को सस्ते में लेकर धारा 80 करा ले रहे हैं। फिर प्लाटिंग कर बगैर अनुमति के मोटी रकम में बेच रहे हैं।
धारा 80 कराने के लिए जमीन कितना है, वह मायने नहीं रखता है। फिलहाल जमीन पर निर्माण कार्य होने के साथ ही उस पर कृषि कार्य नहीं होना चाहिए। जांच पड़ताल के बाद वादी से जमीन का शुल्क सामान्य मालियत का एक फीसदी स्टैंप तहसील में और एक फीसदी का शुल्क ऑनलाइन के वक्त ही राजस्व विभाग में जमा कराया जाता है। अगर इस नियम के मुताबिक विधि कार्रवाई नहीं की गई है, तो धारा 80 की आदेश और विधिक कार्रवाई गलत है।
- दीनानाथ मौर्य, वरिष्ठ अधिवक्ता
अकृषि भूमि घोषित होने का यह है फायदा
अधिवक्ता सरजू प्रसाद पांडेय ने कहा कि धारा 80 के अंतर्गत दिया हुआ प्लॉट जब अकृषि घोषित हो जाता है। तब जमीन का मूल्य सर्किल रेट के अनुसार बढ़ जाता है। जमीन पर ऋण भी अधिक लिया जा सकता है। जमीन भू राजस्व से मुक्त हो जाती है। चकबंदी प्रक्रिया से बाहर हो जाएगी। भूमिधरी से संबंधित विक्रय के सभी नियमों से छूट प्राप्त हो जाएगी अर्थात ऐसी जमीन का विक्रय अनुसूचित जाति का व्यक्ति अन्य जाति को बिना अनुमति के बेच सकता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उपरोक्त प्रकरण पूरा करने के बाद कोई सामान्य खरीद सकता है। जिसका लाभ व हानि भविष्य जरूर नजर आएंगे।