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बांग्लादेश से नेपाल हर महीने सोनौली बार्डर भारत में घुस रहे रोहिंग्या, बनवा लेते हैं यहाँ के आधार और वोटर कार्ड


रतन गुप्ता उप संपादक

भारत घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा है, खास तौर पर बांग्लादेश से नेपाल -म्यांमार से अवैध रूप से भारत में घुसने वाले रोहिंग्या घुसपैठियों ने देश के लिए स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। जब भारत सरकार उन्हें निकालने के लिए एनआरसी जैसा कानून लाने का प्रयास करती है, तो विपक्षी दल इन इस्लामी घुसपैठियों के समर्थन में रैली करते हैं। अनुमान है कि भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या घुसपैठिए अवैध रूप से रह रहे हैं। इस बीच, एक अन्य अनुमान के अनुसार हर महीने करीब 200 रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों को भारत में धकेला जाता है। इनमे से कई तो ऐसे हैं, जिनके भारतीय दस्तावेज तक बन चुके हैं, हाल ही में मुंबई से 4 बांग्लादेशी पकड़ाए थे, जो इसी लोकसभा चुनाव में फर्जी वोटर ID से वोट भी डाल चुके थे। इन्हे पकड़ना चुनौती इसलिए भी है कि, कई भारतीय ही इस काम में इनकी मदद करते हैं और उन्हें अपने रिश्तेदार के रूप में पेश करके उनकी असली पहचान छुपा लेते हैं।

इन रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों को देश के कई राज्यों में पनाह दी जा रही है और अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह भी इसमें शामिल है। NIA की टीम ने हाल ही में इस गिरोह के सरगना जलील मियां को गिरफ्तार किया है। जलील मियां पर एक लाख रुपये का इनाम है और वह गिरोह के सरगना जीबन रुद्र पाल उर्फ ​​सुमन का सहयोगी है। अधिकांश रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत से हैं, जहां उन्हें 1982 में नागरिकता देने से मना कर दिया गया था। 2015 से अब तक 9 लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश और भारत समेत कई देशों में पलायन कर चुके हैं।

NIA ने जलील मियां को तो पकड़ लिया है, लेकिन उसके साथी जज मियां और शांतो अभी भी फरार हैं। अब तक इस गिरोह के 29 सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं। नवंबर 2023 में एनआईए ने जलील मियां को गिरफ्तार करने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय वह भागने में सफल रहा। रोहिंग्या मुसलमानों को 10-20 लाख रुपये (14-28 लाख बांग्लादेशी टका) के पैकेज के तहत फर्जी दस्तावेज मुहैया कराकर भारत में बसाया जा रहा है। भारत सरकार ने उन्हें अवैध अप्रवासी और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा घोषित किया है।

हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र उन्हें शरणार्थी कहता है। रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में बसने से पहले हिंदी, असमिया और अन्य स्थानीय भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाता है ताकि उनके उच्चारण के कारण उन्हें पहचाना न जा सके। यह गिरोह हर दिन 5-10 रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में घुसपैठ कराता था। यहाँ तक कि इन अवैध घुसपैठियों की पहचान छिपाने के लिए उनका रूप भी बदल दिया जाता है। दिल्ली में ऐसे कई शिविर हैं जहाँ रोहिंग्या रहते हैं। चिंताजनक बात यह है कि सिर्फ़ दो साल में भारत में रोहिंग्या मुसलमानों की आबादी दोगुनी हो गई है।

केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में कोई रोहिंग्या शरणार्थी शिविर नहीं है। मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर में इनकी संख्या 10,000 होने का अनुमान है। ये रोहिंग्या कई अपराधों में भी शामिल रहे हैं। इसके अलावा, शाहन बाग और जाफराबाद में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भी बड़ी संख्या में रोहिंग्या शामिल हुए। भारत में पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है और आतंकवादी लगातार हमले करने के मौके की तलाश में रहते हैं। ऐसे में रोहिंग्या देश के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं।

त्रिपुरा की सीमा बांग्लादेश से 856 किलोमीटर लंबी है। करीब 16 महीने में अकेले त्रिपुरा में 1018 घुसपैठिए पकड़े गए हैं। 2023 में त्रिपुरा पुलिस ने 337 बांग्लादेशियों को पकड़ा, जिनमें 93 महिलाएं और 24 बच्चे शामिल हैं। वहीं, BSF ने 744 घुसपैठियों को पकड़ा। 2022 में 369 घुसपैठिए पकड़े गए। इसी तरह, 2021 में 208 घुसपैठिए पकड़े गए, जिनमें 93 बांग्लादेशी शामिल हैं। इन अवैध रोहिंग्या घुसपैठियों को चेन्नई में बसाया जा रहा है।

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