रतन गुप्ता उप संपादक
महराजगंज। जिले में बगैर पंजीकरण के अवैध डेंटल क्लीनिक संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग इन पर शिकंजा कसने में फेल है। इसमें ज्यादातर तो ऐसे हैं, जिनके पास कोई डिग्री ही नहीं है। 200 से अधिक क्लीनिक कस्बे, गली चौराहा में संचालित हो रहे हैं। मुन्ना भाई बने डेंटिंस्ट बेहतर इलाज का झांसा देकर लोगों को मौत के मुहाने पर पहुंचा देते हैं।
बात शहर की करें तो यहां भी गलियां में डेंटल क्लीनिक खुले हैं, इसमें कुछ डिग्री धारी हैं। कुछ ऐसे हैं जो तर्जुबे से दांत की बीमारी दूर करते हैं। उनके पास कोई डिग्री नहीं है। हैरानी की बात है कि डेंटल क्लीनिक का पंजीकरण कराने में किसी को रुचि नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी इनकों पंजीकरण कराने का मौका दिया जा रहा है।
शहर में पड़ताल के दौरान फरेंदा रोड से आगे बढ़ने पर महुअवा चौराहे पर एक मकान पर बोर्ड दिखा। डॉक्टर का नाम लिखा था, लेकिन डिग्री नहीं लिखी थी। अंदर जाने पर दांत उखाड़ने का पूरा संसाधन उपलब्ध मिला। मरीजों का इलाज किया जा रहा था। इसी तरह से निचलौल, फरेंदा, नौतनवा, सिसवा, घुघली, परतावल, पनियरा, कोल्हुई में भ्रमण के दौरान डेंटल क्लीनिक मिले। इसमें कुछ ऐसे मिले, जिनके पास कोई डिग्री थी।
पनियरा कस्बे में ब्लाॅक के पास मिले धीरज ने बताया कि तजुर्बे वाले डॉक्टर इलाज तो तेजी से करते हैं, लेकिन केस खराब होने के बाद किनारा कस लेते हैं। इसी तरह से अन्य लोगों ने भी मुन्ना भाई की कथनी करनी बयां की। तजुर्बे वाले डॉक्टर साहब 100 से लेकर 1000 रुपये तक का इलाज करते हैं। वहीं डिग्रीधारी डॉक्टर की फीस 100 से 200 रुपये निर्धारित होती है। पूरा खेल दवा में होता है। पहले से तय हुई कंपनी की दवा लिखकर मोटी रकम अर्जित करते हैं। सूत्र बताते हैं कि दांत की बीमारी होने पर ये डॉक्टर कम से कम 500 रुपये की दवा लिखते हैं। जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में जहां जगह मिली वहीं क्लीनिक बनाकर काम शुरू कर देते हैं।