नौतनवा ,सोनौली ,ठुठीबारी ,भगवानपुर बाडरो के सीमावर्ती क्षेत्र में प्याज की तस्करी से भारतीय क्षेत्रो में 10 रुपये बढ़े दाम


रतन गुप्ता उप संपादक

महराजगंज। प्याज की तस्करी बढ़ गई है। तस्कर नेपाल पहुंचाकर दोगुना लाभ कमा रहे हैं। 10 दिनों में ही प्याज के दाम 10 रुपये बढ़ गए हैं। इससे क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

सूत्रों की माने तो नेपाल में बाॅर्डर के करीब प्याज का दाम अधिक नहीं मिलता है। बाॅर्डर पार पहुंचते ही 60 से 80 रुपये किलो बिक जाती है। यह जैसे जैसे अंदर पहुंचेगी, इसका दाम बढ़ता जाएगा। पहाड़ तक पहुंचने पर 100 से 120 रुपये हो जाता है। एक दिन में एक कैरियर कम से कम दो चक्कर लगाता है। प्रत्येक चक्कर में कम से कम दो बारियां सरहद पार होती है।

इस धंधे में करीब 200 कैरियर होंगे, जो समय-समय पर जरूरत के अनुसार हर सामान पार करते हैं। प्याज पर भारतीय कस्टम ड्यूटी बढ़ने से नेपाल में यह समस्या हुई है। नेपाल में लोग मांसाहार ज्यादा पसंद करते हैं। उसके लिए प्याज की मांग अधिक है। इसलिए प्याज की तस्करी चरम पर है।
नेपाल में प्याज का भाव थोक में भारत की तुलना में दोगुना है। तस्कर इसका फायदा उठाने में लगे हैं। पगडंडियों से प्याज को आसानी से नेपाल पहुंचाकर मोटी रकम अर्जित कर रहे हैं। छह माह से प्याज की तस्करी काफी बढ़ गई है। सीमावर्ती गांव के गोदाम में डंप प्याज कैरियर बाइक व साइकिल से इसे सीमा पार पहुंचाते हैं। भारत सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी ड्यूटी लगा दी है। इससे नेपाल में प्याज के दाम बढ़ गए हैं।

अपर पुलिस अधीक्षक आतिश कुमार सिंह ने बतााया कि सख्ती के कारण समय समय पर बरामदगी होती है। सीमावर्ती क्षेत्र में विशेष निगरानी की जा रही है।

कैरियर को मिलता है प्रतिकिलो 15 रुपये
प्याज की तस्करी के लिए धंधेबाजों ने कोल्हुई के जोगियाबारी, नौतनवा के सुंडी, सोनौली के हरदीडाली, खुनुवा, शेख फरेनिया, डंडा हेड, श्याम काट, भगवानपुर, मदरी थान, बरगदवा, परसामलिक, ठूठीबारी, लक्ष्मीनगर, झुलनीपुर बाॅर्डर के रास्ते कैरियर प्याज को नेपाल पहुंचा रहे हैं। इसके लिए वह बाइक और साइकिल का प्रयोग करते हैं। एसएसबी और पुलिस कभी-कभार इन्हें पकड़ती भी है पर धंधेबाज मौके से फरार हो जाते हैं। कुछ युवकों ने बताया कि एक किलो के पीछे 15 से 20 रुपये मिलते हैं।


सीमावर्ती क्षेत्र में तस्करों ने बनाया डंपिंग स्टेशन
तस्करों ने भारतीय सीमा में स्थित गांवों में डंपिंग स्टेशन बना रखा है। भारतीय बाजारों से सामान खरीदकर वे सीमावर्ती गांवों में इकट्ठा कर लेते हैं। बाद में कैरियर की मदद से यह सामान नेपाल सीमा में पहुंचा देते हैं। तस्करों के नेटवर्क से जुड़े कारोबारी सामानाें की खरीदारी कर सीमावर्ती गांवों में बनाए गए तस्करों के डंपिंग स्टेशन तक पहुंचाते हैं, जिसमें एक लोग मिलकर तस्करी को अंजाम दे रहे हैं।


तस्करी रूकती तो सस्ती होती प्याज

सीमावर्ती क्षेत्र सोनौली के नीरज कुमार, सुर्दशन, दीपक, शमसुल का कहना है कि यदि प्याज की तस्करी पर पूरी तरह से अंकुश लग जाती तो प्याज की कीमतों में काफी कमी आती। अर्जुन वैश्य निवासी नौतनवा ने बताया कि तस्करी की वजह से प्याज के दाम कम नहीं हो रहे हैं

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