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पूर्व सांसद रमापति राम त्रिपाठी व संतराज यादव की सजा बरकरार- जानें क्यों हुई थी सजा


रतन गुप्ता उप संपादक

गोरखपुर
लालकृष्ण आडवाणी के नौसड़ से गोरखपुर की तरफ जाने के कुछ देर बाद लगभग 12 बजे मरवड़िया कुआं की तरफ हुई घटना को लेकर भाजपा के क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं ने नारा लगाते राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध कर दिया था। उप निरीक्षक शिवमंगल सिंह ने अपने हमराहियों के साथ उन्हें समझाने का प्रयास किया तो आरोपी उग्र हो गए और शिवमंगल सिंह को पकड़कर थप्पड़-मुक्का से मारने-पीटने लगे। उनकी सर्विस रिवाल्वर भी छीनने का प्रयास किया गया।

भाजपा के पूर्व सांसद रमापति राम त्रिपाठी व भाजपा के वरिष्ठ नेता संतराज यादव के खिलाफ निचली अदालत के फैसले को अपर सत्र न्यायाधीश गोविंद मोहन ने बहाल रखा है। निचली अदालत ने दोनों को एक साल के कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया है।

अभियोजन पक्ष की तरफ से बताया गया कि वादी उप निरीक्षक शिवमंगल सिंह अपने हमराहियों के साथ 16 जुलाई 1994 को तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा की सुरक्षा और शांति व्यवस्था में नौसड़ में मौजूद थे।

लालकृष्ण आडवाणी के नौसड़ से गोरखपुर की तरफ जाने के कुछ देर बाद लगभग 12 बजे मरवड़िया कुआं की तरफ हुई घटना को लेकर भाजपा के क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं ने नारा लगाते राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध कर दिया था।

उप निरीक्षक शिवमंगल सिंह ने अपने हमराहियों के साथ उन्हें समझाने का प्रयास किया तो आरोपी उग्र हो गए और शिवमंगल सिंह को पकड़कर थप्पड़-मुक्का से मारने-पीटने लगे। उनकी सर्विस रिवाल्वर भी छीनने का प्रयास किया गया।

घटना को देखकर हमराहियों और कर्मचारियों ने वादी को बचाने का प्रयास किया तो उपेंद्र दत्त शुक्ल के साथ आए सौ-डेढ़ सौ कार्यकर्ता एक राय होकर पुलिस वालों को जान मारने की नियत से टूट पड़े। ईंट, पत्थर, कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल और डंडा व लात मुक्का से मारना शुरू कर दिए, जिससे जनता में भय का माहौल व्याप्त हो गया और दुकानदार दुकानें बंद कर भागने लगे।

इस मामले में अधीनस्थ न्यायालय ने पिछले साल 13 जुलाई को दोनों अभियुक्तों पूर्व सांसद रमापति राम त्रिपाठी और वरिष्ठ नेता संतराज यादव को एक साल के कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया था। जिसके विरुद्ध दोनों अभियुक्तों ने सत्र न्यायालय में अपील दाखिल की थी। इनकी अपील खारिज करते हुए सजा बरकरार रखी गई है।

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