नेपाल में भारी बर्षा बाढ आने की पुरी संभावना , बाढ़ का मंजर याद कर पीड़ितों की भर आती हैं आंखें


रतन गुप्ता उप संपादक

सड़क किनारे झोपड़ी में गुजर-बसर कर रहे हैं विस्थापित हुए लोग जनप्रतिनिधि भाग गये थे ।———
श्रावस्ती। बाढ़ एक ऐसी त्रासदी है जो हर साल अपने साथ तबाही लाती है। देखते ही देखते खेत-खलिहान, स्कूल और मकान धारा में समा जाते हैं और इसके साथ ही समा जाते हैं इंतजामों से निपटने के सरकारी दावे।
हसनापुर घाटेपुरवा मार्ग किनारे घर बनाकर रह रहे बुजुर्ग लुप्पी पुत्र रघुनंदन बताते हैं कि बारिश का मौसम अब डराने लगा है, इस बार कहां सर छुपाएंगे पता नहीं। इतना कहते कहते हुए उनकी आंखे भर आईं।
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आंसुओं को पोछते हुए लुप्पी ने बताया कि वर्ष 2014 में आई बाढ़ ने उनको और सैकड़ों लोगों को भी बेघर कर दिया। लोगों के सामने जान बचाकर भागने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं बचा। ऐसे में मार्ग के किनारे खाली पड़ी भूमि पर फूस की झोपड़ी बनाकर तब से गुजर बसर कर रहे हैं। जब तक बाढ़ नहीं आती है तब तक तो ग्रामीण आपसी सामंजस्य बनाकर अंदाजे से अपना अपना खेत जोतकर कुछ फसल पैदा कर लेते हैं। लेकिन बरसात के दिनों में खेत जलमग्न हो जाते है। तब मजदूरी के सिवा पेट पालने का दूसरा रास्ता नहीं बचता है।

वर्ष 2014 से 2016 के बीच राप्ती नदी में भीषण बाढ़ ने कई गांवों को प्रभावित किया। किन्तु इस बीच बाढ़ का पानी घटने के बाद राप्ती के कटान से ग्राम पंचायत कथरा माफी के मजरा हसनापुर का नामोनिशान ही मिट गया। गांव के करीब 300 घर राप्ती की कटान से समा गए। कटान पीड़ित मथुरा प्रसाद बताते हैं कि नदी की कटान से लोगों को न राशन निकालने का मौका दिया और न ही कपड़े व जरूरी कागजात समेटने का। गांव में मकानों की गिरती दीवारों के शोर लोगों को विचलित कर रहे थे। जब तक लोग कुछ समझ पाते तब तक बगल का मकान नदी में समा जाता था। सामने जो भी सामान दिखा उसे लेकर ग्रामीण पलायन कर गए।

विस्थापितों का नहीं है पुरसाहाल
राप्ती के बाढ़ व कटान से बेघर हुए कथरा माफी के मजरा हसनापुर ग्रामीणों को राहत देने के लिए कोई कारगर कार्ययोजना नहीं बन सकी हैं। योजनाएं चाहे हजार हों पर इन लोगों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। मथुरा प्रसाद, कमलेश कुमार, फेरन, मालिकराम, मुंशीलाल, नरेन्द्र कुमार, अन्नूराम, रिक्खीराम, पिंटू, रामधीरज सहित कई अन्य ग्रामीण आवास व अन्य सरकारी योजनाओं की राह देख रहे है। बता दें कि इसी ग्राम पंचायत में पूर्व राज्यमंत्री बेसिक शिक्षा अनुपमा जायसवाल का मायका भी है। और तो और जमुनहा ब्लॉक प्रमुख शिवम जायसवाल का ननिहाल भी इसी गांव में है। फिर भी बाढ़ व कटान पीड़ितों को मार्ग किनारे झोपड़ी में रहने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

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