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देश में अंग्रेजी कानून IPC का अंत, आज से लागू हुई न्याय संहिता, पढ़ें 10 बड़े बदलाव


रतन गुप्ता उप संपादक
देशभर में आज से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू कर दिया गया है। इन तीनों नए कानून के साथ ही इंडियन पीनल कोड (IPC), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर और इंडियन इविडेंस एक्ट खत्म हो जाएंगे।

इन तीनों नए आपराधिक कानूनों को आज से देशभर में लागू कर दिया गया है। नए कानून में कई बदलाव किए गए हैं, कुछ पुरानी धाराओं को हटा दिया गया है, साथ ही नई धाराओं को भी जोड़ा गया है। ऐसे में सरकार के इस फैसले से पुलिस, वकील और अदालतों के काम-काज में काफी बदलाव देखे को मिलेगा।

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नए कानून के तहत पहला केस हुआ दर्ज*

नए कानून लागू होने के बाद इसके तहत पहला मामला दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ है। दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे अवरोध पैदा करने और सामान बेचने के आरोप में यह केस दर्ज हुआ है। यह मामला एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 296 के तहत दर्ज किया गया है।

नए कानून से होंगे ये बदलाव

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आपराधिक मामलों की सुनवाई 45 दिन में खत्म करनी होगी, पहली सुनवाई के बाद 60 दिन के भीतर आरोप तय करने होंगे। गवाह की सुरक्षा के लिए सभी राज्य सरकारों को सुरक्षा योजना को सुनिश्चित करना होगा, ताकि गवाहों की सुरक्षा और उनका सहयोग सुनिश्चित हो सके।
रेप पीड़िता का बयान महिला पुलिस अधिकारी ही दर्ज कर सकती हैं, इस दौरान पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की उपस्थिति अनिवार्य है। सात दिन के भीतर मेडिकल रिपोर्ट पूरी करनी होगी।
कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध का नया चैप्टर जोड़ा गया है। बच्चों की खरीद-फरोख्त को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है, इसकी सख्त्त सजा का प्रावधान है। नाबालिग के साथ गैंगरेप की सजा फांसी या उम्र कैद हो सकती है
शादी का वादा करने के बाद महिला के साथ धोखा देकर उसे छोड़ देना भारी पड़ेगा। इसके लिए अब सजा का प्रावधान किया गया है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में पीड़िता को 90 दिन के भीतर मामले में हुई कार्रवाई की जानकारी दी जाएगी। सभी अस्पतालों को फर्स्ट एड या मेडिकल ट्रीटमेंट देना होगा, अगर महिला या बच्चे केसाथ अपराध हुआ है।
आरोपी और पीड़ित दोनों को एफआईआर, चार्जशीट, बयान, कबूलनामे और पुलिस रिपोर्ट की प्रति 14 दिन के भीतर दी जाएगी। मामले की सुनवाई में देरी ना हो इसके लिए कोर्ट सिर्फ दो बार ही कार्रवाई को स्थगित कर सकती है।
घटना की जानकारी फोन के जरिए भी दी जा सकती है, इसके लिए पुलिस स्टेशन आने की जरूरत नहीं है। जीरो एफआईआर के जरिए किसी भी जगह पर केस दर्ज किया जा सकता है।
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के पास यह अधिकार होगा कि वह अपने पसंद के व्यक्ति को घटना की जानकारी दे सकता है। आरोपी का परिवार और दोस्त आसानी से उसे संपर्क कर सके इसके लिए गिरफ्तारी की जानकारी पुलिस स्टेशन और जिला मुख्यालय में दर्ज करनी होगी।
संगीन अपराध के मामले में यह अनिवार्य कर दिया गया है कि फॉरेंसिक की टीम घटनास्थल का दौरा करे और सबूतों को इकट्ठा करे।
जेंडर में अब ट्रांसजेंडर को भी शामिल कर लिया गया है। कुछ मामलों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में महिला मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता का बयान दर्ज करना होगा।

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