रतन गुप्ता उप संपादक
नेपाल में आषाढ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर काठमाडौं स्थित भारतीय राजदूतावास ने मिति २०८१ श्रावण ६ गते एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया । इस उत्सव नेपाल के विभिन्न बौद्ध सम्प्रदाय और गुम्बा के प्रतिनिधियों की सहभागिता थी।
भगवान् बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के सारनाथ में अपने पहले पाँच तपस्वी शिष्यों को अपना पहला उपदेश आषाढ पूर्णिमा के दिन दिया था। बिहार के बोधगया में बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद भगवान् बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेश ने ‘चार आर्य सत्य’ और ‘आर्य अष्टाङ्गिक मार्ग’ के विषय में पहचान मिली थी। बारे चिनाएको थियो । इसे ‘धर्म चक्र का पहला आधार भी माना जाता है।
कार्यक्रम में थेरावडा संघ, महायाना संघ और वज्रयान संघ ने विधिपूर्वक प्रार्थना की। तत्पश्चात बौद्ध सुत्र द्वारा प्रार्थना का वाचन और अपर्ण किया गया था ।
नियोग उप–प्रमुख श्री प्रसन्न श्रीवास्तव ने भगवान् बुद्ध के द्वारा दिये शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत और नेपाल में स्थित पवित्र बौद्ध स्थल दोनों देशों की साझा साँस्कृतिक सम्पदा है। नियोग उप–प्रमुख ने शताब्दी से कायम सम्बन्ध को आगे बढ़ाने के लिए बौद्ध धर्म के योगदान को याद किया