रतन गुप्ता उप संपादक
महराजगंज। श्यामदेउरवां क्षेत्र के गोधवल चौराहे पर अवैध रूप से संचालित न्यू अपोलो हॉस्पिटल को रविवार देर रात प्रशासन ने सील कर दिया। इसके साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर भेजवा दिया। प्रशासन की इस कार्रवाई से निजी अस्पताल संचालकों में हड़कंप मच गया है।
एसडीएम सदर रमेश कुमार, निजी अस्पताल के नोडल अधिकारी डाॅ. राजेश द्विवेदी व प्रभारी निरीक्षक धर्मेंद्र कुमार सिंह गोधवल चौराहे पर संचालित न्यू अपोलो हॉस्पिटल पहुंचे। अस्पताल जिस डाॅक्टर के नाम से पंजीकृत है। वह मौके पर नमीं मिले। इस पर अधिकारियों ने अस्पताल को सील कर दिया और भर्ती मरीजों को एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज गोरखपुर भेज दिया। नोडल अधिकारी ने बताया कि उन्हें अस्पताल की शिकायत मिली थी। जांच में अवैध रूप से संचालित अस्पताल सील कर दिया गया। जांच अभियान आगे भी जारी रहेगा।
बच्चे की मौत की सूचना पर पहुंची थी स्वास्थ्य विभाग की टीम
बीते 18 जुलाई को गोधवल चौराहे पर स्थित अपोलो अस्पताल में नवजात बच्चे की मौत की बात को लेकर हंगामा हो रहा था। किसी ने इसकी सूचना नोडल अधिकारी डाॅ. राजेश द्विवेदी को दी। उन्होंने कतरारी चौकी प्रभारी को सूचना दी। सूचना मिलते ही कतरारी पुलिस मौके पर पहुंच गई। कुछ ही देर में नोडल अधिकारी भी पहुंचे। टीम पहुंचने से पहले ही किसी तरह हंगामा शांत हो गया था। उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों की जानकारी ली। उस दौरान भी जिस डाॅक्टर के नाम पर अस्पताल पंजीकृत हैं, वह मौजूद नहीं था। कर्मचारियों ने बताया कि वह दो दिनों से बीमार है। निरीक्षण में पता चला कि अस्पताल अनट्रेंड लोगों के भरोसे चल रहा है।
अस्पताल में दलाल की भूमिका निभा रहीं आशा
ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को सरकारी अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सा सुविधा का लाभ दिलाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है। सरकार की मंशा है कि आशा कार्यकर्ता मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाएंगी। इससे उन्हें सरकारी सुविधा का लाभ मिलेगा लेकिन परतावल ब्लाॅक में तैनात आशा कार्यकर्ता निजी अस्पतालों के नेटवर्क में हैं। कमीशन के लालच में वह प्रसूताओं को सरकारी अस्पताल के बजाय निजी अस्पताल में भर्ती करा देती हैं। प्रत्येक प्रसव पर उन्हें 5-10 हजार रुपये कमिशन मिल जाते हैं। 18 जुलाई के निरीक्षण में यह बात स्पष्ट हो गया कि इस अस्पताल में भी आशाओं के माध्यम से ही मरीज भर्ती हो रहे हैं। निरीक्षण के दौरान ग्राम सभा बैजौली टोला झोझई निवासी अन्नू पत्नी हरेंद्र, पिपरिया निवासी रेनू पत्नी गोपी, सुमेरगढ़ निवासी खुश्बू पत्नी मोहन का ऑपरेशन से प्रसव हुआ था। परिजनों ने बताया कि गांव की आशा ने उन्हें वहां ले गई थी। ऑपरेशन के नाम पर 20 से 25 हजार रुपये जमा करा लिया गया है।
दवाओं पर भी है कमीशन
सूत्रों की मानें तो आशा कार्यकर्ता ऑपरेशन के बाद चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवा की पर्ची को अपने पास रख लेती हैं। अस्पताल में ही दवा की दुकानें हैं। जहां उन्हें एक-एक पर्ची पर अच्छा खासा कमीशन दिया जाता है। इसकी लालच में वह निजी अस्पतालों की दुकानों से दवा खरीदने के लिए बाध्य करती हैं। भोले-भाले ग्रामीण इस बात को समझ नहीं पाते और उनके झांसे में आकर ठगे जाते हैं।
गुलहरिया थाने का गैंगस्टर है अस्पताल संचालक
गोधवल चौराहे पर संचालित न्यू अपोलो हॉस्पिटल का संचालक गोरखपुर जिले के गुलहरिया थाने का गैंगस्टर है। वह नाम बदलकर अस्पताल चलाने में माहिर है। स्वास्थ्य विभाग में गहरी पैठ होने के कारण वह नाम बदलकर नया अस्पताल खोल लेता है। चार वर्ष पहले उसने गोरखपुर जिले के भटहट बाजार में प्रियांशु नाम से अस्पताल खोला था। यहां स्वीपर द्वारा महिला का प्रसव कराने के दौरान नवजात की मौत हो गई थी। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया था। स्वास्थ्य विभाग ने जांच कर अस्पताल को सील कर दिया था। कुछ दिनों बाद उसी मकान में नाम बदलकर उसने सत्यम हास्पिटल का संचालन शुरू कर दिया।इस तरह वह गुलहरिया क्षेत्र के भटहट बाजार में अलग-अलग नामों से फर्जी अस्पताल चला चुका है।