रतन गुप्ता उप संपादक
भोजपुरी और जनपदीय अध्ययन में शुरू होगा डिप्लोमा पाठ्यक्रम
गोरखपुर। गोरखपुुर और आसपास के लोगों को अब जल्द ही भोजपुरी साहित्य पढ़ने को मिलेगा। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने भोजपुरी अध्ययन केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। यह केंद्र भोजपुरी साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।
गोरखपुर विश्वविद्यालय भोजपुरी परिक्षेत्र में स्थित है। यहां अवधी और अन्य भाषाएं भी बोली जाती हैं, लेकिन भोजपुरी से ही यहां की सभ्यता और संस्कृति जुड़ी है। अध्ययन केंद्र में भोजपुरी लोक साहित्य पर शोध होगा। इसके माध्यम से भोजपुरी भाषा साहित्य और समाज का मूल्यांकन होगा। केंद्र भोजपुरी की शोध पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन एवं भोजपुरी लोक-साहित्य का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों और शोधार्थियों को उचित अवसर प्रदान करेगा।
हिंदी के विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने बताया कि नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई पर जोर है। भोजपुरी साहित्य अध्ययन केंद्र के तहत भोजपुरी और जनपदीय अध्ययन पर डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही भोजपुरी पर शब्दकोश, लोकगीत, परंपराएं और संस्कार गीत पर भी शोध होगा। विद्यार्थियों के लिए समय-समय पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य भोजपुरी भाषा में सृजनशील रचनाकारों को ऐसा अवसर उपलब्ध कराना है, जिसके माध्यम से भोजपुरी भाषा के युवा लेखकों को उचित पहचान मिल सके। प्रवासी भारतीयों के लिए भी यह केंद्र काफी महत्वपूर्ण होगा। यह उनके लिए एक संपर्क केंद्र के रूप में विकसित होगा, जिसके माध्यम से वे भोजपुरी लेखन के स्वरूप, प्रकृति और उसकी चेतना पर अध्ययन कर सकेंगे।
पूर्वांचल में भोजपुरी अध्ययन केंद्र की बहुत ज्यादा जरूरत है। हिंदी विभाग इसको लेकर योजना बना रहा है जो एक सराहनीय पहल है। इस केंद्र की स्थापना के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। यहां प्रवासी भोजपुरी साहित्य का अध्ययन हो, जिससे बाहर के लोग भी आकर्षित होंगे।
- प्रो. पूनम टंडन, कुलपति