रतन गुप्ता उप संपादक
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने की घोषणा की है। यह फैसला प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने और बढ़ती हिंसा के बीच देश छोड़कर भागने के कुछ ही समय बाद लिया गया है।
यह घोषणा विपक्षी पार्टी के सदस्यों के साथ एक बैठक के बाद की गई, जिसमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को तत्काल रिहा करने का निर्णय लिया गया। प्रेस बयान में इस सर्वसम्मत निर्णय की पुष्टि की गई।
बैठक में सेना प्रमुख वकर-उज़-ज़मान, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख और बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी सहित विपक्षी दलों के शीर्ष नेता मौजूद थे। उनकी सामूहिक सहमति से ज़िया को रिहा करने का फ़ैसला लिया गया।
हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोप में 17 साल की सजा सुनाए जाने के बाद 2018 में जेल में डाल दिया गया था। उनकी रिहाई बांग्लादेश के अशांत परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव का संकेत है।
खालिदा जिया कौन हैं?
15 अगस्त 1945 को बंगाल के जलपाईगुड़ी में जन्मी खालिदा जिया मुख्य विपक्षी दल बीएनपी की प्रमुख हैं। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद हुई। जियाउर रहमान 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे और 1978 में उन्होंने बीएनपी की स्थापना की थी।
ज़िया ने 1991 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रच दिया। पाकिस्तान की बेनज़ीर भुट्टो के बाद दुनिया की दूसरी मुस्लिम महिला प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने 2001 से 2006 तक प्रधानमंत्री के रूप में एक और कार्यकाल पूरा किया।
2006 में उनकी सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, राजनीतिक हिंसा के कारण जनवरी 2007 के चुनाव स्थगित कर दिए गए और कार्यवाहक सरकार पर सैन्य नियंत्रण स्थापित कर दिया गया। इस अंतरिम शासन के दौरान, ज़िया और उनके दो बेटों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे।
वर्तमान में कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही ज़िया को अस्पताल में ही रहना पड़ता है, लेकिन अक्सर इलाज के लिए उन्हें विदेश यात्रा करनी पड़ती है। उनकी रिहाई से बांग्लादेश की राजनीतिक गतिशीलता में काफ़ी बदलाव आ सकता है।
यह घटनाक्रम बांग्लादेश में तीव्र राजनीतिक उथल-पुथल के दौर के बाद हुआ है। शेख हसीना के इस्तीफे और उसके बाद की घटनाओं ने एक अस्थिर माहौल पैदा कर दिया है, जिससे नेतृत्व और नीति दिशा में और बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
हाल ही में हुई इन घटनाओं के बाद बांग्लादेश का भविष्य का राजनीतिक परिदृश्य अनिश्चित बना हुआ है। खालिदा जिया की रिहाई देश के भीतर आगामी राजनीतिक रणनीतियों और गठबंधनों को प्रभावित कर सकती है।