रतन गुप्ता उप संपादक
नेपाल में सीपीएन-यूएमएल और माओवादी सेंटर संसद में भिड़ गए हैं. यूएमएल सचिव योगेश भट्टाराई के ‘माओवादी हिंसा के 10 साल’ कहने के बाद माओवादी सांसदों ने आपत्ति जताई.
डेडिकेटेड और ट्रंक लाइन विवाद पर बोलते हुए भट्टराई ने कहा कि अगर 10 साल तक देश में माओवादी हिंसा नहीं होती तो नेपाल की बिजली में बड़ी क्रांति होती. उन्होंने कहा, ‘नक्सलियों ने कितनी ट्रांसमिशन लाइनें, कितने सबस्टेशन नष्ट किए? बिजली उत्पादन करने गये कई व्यवसायियों को चंदा मांग कर भगा दिया गया.
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर 10 साल तक हिंसा नहीं होती तो लोड शेडिंग 2075 में नहीं बल्कि 2075 में खत्म होती.’
तब माओवादी सांसदों ने विरोध जताया. स्पीकर द्वारा समय दिए जाने के बाद बोलने वाले माओवादी सचिव देवेन्द्र पौडेल ने कहा कि इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर नीचे से शांति प्रक्रिया नहीं चल सकती.
स्पीकर द्वारा समय दिए जाने के बाद दोबारा बोलते हुए भट्टाराई ने माओवादियों की हिंसा को दोहराया.
माओवादी सांसद लगातार विरोध प्रदर्शन करते रहे. उन्होंने हिंसा शब्द को हटाने की मांग की. स्पीकर ने सचिवालय को जांच के निर्देश भी दिये.
लेकिन भट्टाराई ने प्रतिवाद किया। उन्होंने कहा, ”हमारी राजनीतिक प्रतिबद्धता में किस बात की जांच की जाती है?”