रतन गुप्ता उप संपादक
*यूपी में मुख्य सचिव के आदेश के बावजूद अब तक 42 प्रतिशत से भी कम राज्यकर्मियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है। 58 प्रतिशत कार्मिकों ने यह जानते हुए भी संपत्ति के बारे में नहीं बताया है कि उन्हें सितंबर में अगस्त का वेतन नहीं मिलेगा। दो दिन में संपत्ति का ब्योरा न देने वाले राज्यकर्मियों के खिलाफ सरकार और भी कड़े कदम उठाने की तैयारी में है।*
*31 अगस्त की रात 12 बजे तक संपत्ति का ब्योरा नहीं देने पर नहीं मिलेगा अगस्त का वेतन*—–
*मुख्य सचिव के आदेश के बावजूद 4.87 लाख कर्मियों ने अब तक नहीं दिया संपत्ति का ब्योरा*
*चल-अचल संपत्ति का कल रात 12 बजे तक ब्योरा न देने वाले राज्यकर्मियों को नहीं मिलेगा अगस्त का वेतन*
*17 अगस्त के शासनादेश के तहत सभी राज्यकर्मियों को मानव संपदा पोर्टल पर देना है संपत्ति का पूरा ब्योरा*
ऐसा लगता है कि लाखों राज्यकर्मियों को अपने वेतन की कोई चिंता ही नहीं हैं। अगर वेतन की चिंता होती तो सरकार के स्पष्ट आदेश पर सभी ने अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दे ही दिया होता। स्थिति यह है कि 8.34 लाख राज्यकर्मियों में से 3.47 लाख ने ही अब तक मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण दिया है। 58 प्रतिशत यानि 4.87 लाख राज्यकर्मियों ने अब तक संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है।
इन कार्मिकों द्वारा यदि 31 अगस्त की रात 12 बजे तक संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया गया तो उन्हें अगस्त माह का वेतन नहीं मिलेगा। दो दिन में संपत्ति का ब्योरा न देने वाले राज्यकर्मियों के खिलाफ सरकार और भी कड़े कदम उठाने की तैयारी में है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत राज्य के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को अब मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का वार्षिक ब्योरा देना है। नियमानुसार 31 दिसंबर 2023 तक की संपत्ति का ब्योरा इस वर्ष जनवरी में ही अनिवार्य रूप से सभी को दे देना था, लेकिन ज्यादातर कार्मिकों ने ब्योरा नहीं दिया। सरकार ने ब्योरा न देने वालों को पदोन्नत न करने का निर्णय किया। इस पर भी बहुत कम कर्मियों ने ही ब्योरा दिया। ऐसे में 30 जून को कार्मिक विभाग ने एक और शासनादेश जारी कर कहा कि 31 जुलाई तक संपत्ति का ब्योरा न देने वालों के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी, फिर भी पोर्टल पर पंजीकृत ज्यादातर कर्मी संपत्ति का ब्योरा देने के लिए आगे नहीं आए।
चूंकि पोर्टल के माध्यम से संपत्ति का ब्योरा देने की व्यवस्था पहली बार लागू की गई इसलिए सरकार ने तमाम व्यावहारिक दिक्कतों को मानते हुए राज्यकर्मियों को संपत्ति का विवरण पोर्टल पर दर्ज करने के लिए 31 अगस्त तक की और मोहलत देने का निर्णय किया। इस संबंध में 17 अगस्त को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी शासनादेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि वर्ष 2023 के सापेक्ष चल-अचल संपत्ति का विवरण सभी कार्मिक 31 अगस्त तक अवश्य दर्ज कर दें। ऐसा न करने वाले कार्मिकों को अगस्त का वेतन नहीं मिलेगा।
गौर करने की बात यह है कि मुख्य सचिव के आदेश के बावजूद अब तक 42 प्रतिशत से भी कम राज्यकर्मियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा पोर्टल पर दिया है। 58 प्रतिशत कार्मिकों ने यह जानते हुए भी संपत्ति के बारे में अब तक नहीं बताया है कि उन्हें सितंबर में अगस्त माह का वेतन नहीं मिलेगा। वित्त, बेसिक व उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर विकास, राजस्व, समाज कल्याण, महिला कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, पंचायतीराज, लोक निर्माण, औद्योगिक विकास, गृह, उद्यान, न्याय, नागरिक सुरक्षा, प्रशासनिक सुधार आदि ऐसे विभाग है जिनके 50 प्रतिशत से भी ज्यादा कार्मिकों ने अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है।
एक दिन में 50 हजार से ज्यादा ने बताई संपत्ति
संपत्ति का ब्योरा न देने वाले कार्मिकों को वेतन न देने के निर्णय का कुछ असर जरूर देखने को मिल रहा है। जैसे-जैसे 31 अगस्त करीब आ रहा है वैसे-वैसे संपत्ति का ब्योरा देने वाले कार्मिकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। गुरुवार को ही विभिन्न विभागों के 50,866 कार्मियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा पोर्टल पर दिया।
सूत्रों के अनुसार पिछले एक सप्ताह के दौरान प्रतिदिन 20-25 हजार कार्मिक पोर्टल पर संपत्ति की जानकारी दे रहे हैं। यही कारण है कि अब संपत्ति का ब्योरा देने वाले कार्मिकों की संख्या 3.47 लाख तक पहुंची है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि 31 अगस्त की रात 12 बजे तक लगभग एक-डेढ़ लाख और कार्मिकों द्वारा संपत्ति का ब्योरा दिया जा सकता है।
सूत्र बताते हैं कि तय अवधि में संपत्ति का ब्योरा न देने वाले राज्यकर्मियों के प्रति अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दे सकते हैं। चल-अचल संपत्ति को छिपाने वाले कार्मिकों की संपत्ति की विजिलेंस जांच कराई जा सकती है।
विधान परिषद के तीन प्रतिशत कार्मिकों ने ही दिया ब्योरा
उच्च सदन यानि विधान परिषद सचिवालय में कुल 240 कार्मिक हैं लेकिन गौर करने की बात यह है कि इनमें से सिर्फ आठ कार्मिकों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है। सभी ने गुरुवार को ही पोर्टल पर जानकारी दी है। सचिवालय के प्रथम श्रेणी के 34 कार्मिकों में दो ने, तृतीय श्रेणी के 120 में पांच ने और चतुर्थ श्रेणी के 60 में एक ने ही संपत्ति बताई है। द्वितीय श्रेणी के 26 कार्मियों में से किसी ने अब तक जानकारी नहीं दी है। विधान सभा सचिवालय के 679 कार्मिकों में से 28 अगस्त तक जहां 232 ने ही संपत्ति का ब्योरा दिया था वहीं 271 ने गुरुवार को ही पोर्टल पर संपत्ति का विवरण दिया है।
*प्रमुख विभागों के कार्मिकों द्वारा संपत्ति का ब्योरा देने की स्थिति*
*विभाग – कुल कार्मिक – संपत्ति बताने वाले*
*चिकित्सा स्वास्थ्य – 77408 – 04*
चिकित्सा शिक्षा – 8359 – 05
बेसिक शिक्षा – 9763 – 14
माध्यमिक शिक्षा – 22382 – 08
उच्च शिक्षा – 6016 – 2217
गृह – 310885 – 139119
समाज कल्याण – 2438 – 993
पंचायतीराज – 109301 – 43620
जलशक्ति – 45243 – 23677
वित्त – 6828 – 4722
वन – 7809 – 4650
सतर्कता – 654 -340
लोक निर्माण – 32628 – 16394
राजस्व – 62668 – 17963
महिला कल्याण – 948 – 472
सचिवालय प्रशासन – 4892 -3923
औद्योगिक विकास – 3221 – 946
परिवहन – 1688 – 858
न्याय – 775 -265
आवास – 61 – 17
नगर विकास – 80 – 37
वाणिज्य कर – 8046 – 6926
आयुष – 11415 – 6435
कृषि – 13499 – 11912
ग्राम्य विकास – 2532 – 1787
पशुपालन – 9493 – 6259
आबकारी – 3815 – 3419
उद्यान – 3121 – 1414
श्रम – 4039 3305