रतन गुप्ता उप संपादक
जाति जनगणना का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर एक जनहित याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता की मांग है कि जातिवार जनगणना कराने के निर्देश केंद्र सरकार को दिए जाएं। याचिका में पिछड़े और अन्य हाशिए पर पड़े वर्गों के कल्याण के लिए इसे जरूरी बताया गया है। साथ ही कई और अन्य फायदे भी इसके गिनाए गए हैं।
*याचिका में केंद्र सरकार को इसे लेकर निर्देश देने की मांग की गई है।*
जाति जनगणना की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से की केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र सरकार को पिछड़े और अन्य हाशिए पर पड़े वर्गों के कल्याण के लिए जातिवार जनगणना कराने का निर्देश देने की मांग की गई है। जनहित याचिका में जनसंख्या के अनुसार कल्याणकारी उपायों को लागू करने के लिए सामाजिक-आर्थिक जातिवार जनगणना की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि सामाजिक-आर्थिक जातिवार जनगणना से वंचित समूहों की पहचान करने, समान संसाधन वितरण सुनिश्चित करने और नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी करने में मदद मिलेगी। साथ ही पिछड़े और अन्य हाशिए पर पड़े वर्गों का सटीक आंकड़ा सामाजिक न्याय और संवैधानिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
*डाटा अधारित नजरिया अपनाने की जरूरत*’
याचिका के अनुसार नीति निर्माण के लिए डाटा आधारित नजरिया अपनाना आवश्यक है। सटीक डाटा होने से सामाजिक-आर्थिक स्थितियों और जनसांख्यिकी को समझने में मदद मिलती है। इससे वंचित समुदायों के उत्थान के लिए योजनाएं बनाना संभव हो पाता है।