रतन गुप्ता उप संपादक
भारत नेपाल की सरहद नशे के सौदागरों की ट्रांजिट प्वाइंट बन गई है। बड़े पैमाने पर ब्राउन शुगर व हेरोइन की तस्करी हो रही है। तस्करों की कई बड़ी सिंडीकेट लगा है पर छोटे तस्कर ही गिरफ्त में आते हैं।
भारत-नेपाल सरहद बनी नशे के सौदागरों का हब, तस्करी का बढ़ा ग्राफ
नशे के सौदागरों के नशीले पदार्थों की तस्करी का ग्राफ काफी बढ़ा है। पुलिस, एसएसबी व एनसीबी की ओर से मादक पदार्थ तस्करों की गिरफ्तारियां भी बड़े पैमाने पर हुई है। बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों की बरामदगी भी हुई है। यह हकीकत भी है कि जिनकी गिरफ्तारियां हुई। वह गैंग के कोई बड़े तस्कर न होकर महज भाड़े के मजदूर भर है। जिन्हे गिरफ्तारी के बाद लम्बी सजा भी भुगतनी पड़ी है। इनको यह भी जानकारी नही होती कि यह किस तस्कर का माल तो रहे है।
यह वर्ष नशे के सौदागरों के लिए काफी चुनौती भरा रहा है। 1 जनवरी से 10 मई के बीच पुलिस, एसएसबी व एनसीबी की ओर से 53 से अधिक केस दर्ज किए गए है। कुल 64 तस्करों की गिरफ्तारी हुई है। जिनमे लगभग 6 महिलाए है। 6 ही विदेशी तस्कर यानी नेपाली नागरिकों की गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने 1.84 क्ंवटल गांजा पकड़ा है। 1.700 किग्रा ब्राउन शुगर, 20 ग्राम हेरोइन, 18 किग्रा चरस की बरामदगी की है। गिरफ्तारी व बरामदगी को लेकर पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियां अपनी पीठ थपथपा सकती है। हालांकि इन गिरफ्तारी व बरामदगी के पीछे नशे के सौदागरों के दलालों तक सुरक्षा एजेंसियों की बनाई पैठ है। इनके सूचना स्रोत भी इसी कारोबार में लगे छूटभैय्ये तस्कर है। इन गिरफ्तारियों को लेकर चिंताजनक पहलू यह है कि नशे के सौदागरों की बढ़ी तस्करी अच्छे संकेत नही है। क्योकि नशे के सौदागरों व आतंकी कनेक्शन जग जाहिर है। इन दिनों भारत से नेपाल को बढ़ी तस्करी एक गंभीर चिंता का सबब है।
*सोनौली बार्डर से भारत में आती है अफीम, चरस व गांजा की खेंप*
नेपाल के पर्वतीय इलाके में गांजा की बड़े पैमाने पर बुआई चोरी छिपे रूप में की जाती है। यह बड़े दुर्गम इलाके है। यहां तक की मानसूनी ऋतु से पूर्व इन इलाको में खाधान्न ही नही नमक तक हैलीकाप्टर से भेजा जाता है। मानसून के दौरान आवागमन बंद हो जाता है। गांजा ही सम्पन्न तबके में मारीजुआना या बड नाम से जाना जाता है। गांजा से ही विशेष क्रिया के जरिए चरस पैदा की जाती है। खास बात यह है कि नेपाल में सरकारी तौर पर कही भी अफीम का उत्पादन नही होता। फिर भी नेपाल से चोरी छिपे रूप से अफीम की पैदावार कर भारतीय इलाके में तस्कर भेज देते है ।सोनौली बार्डर पर एसएसबी ,पुलिस ,कस्टम ,नारकोटिक अधिकारी , सुरक्षा एजेन्सी ,मुखबिर ,मोबाईल टीम होने के बाद भी तस्करी जम कर हो रही है । तस्करो में कोई डर है ही नहीं ।