रतन गुप्ता उप संपादक
नेपाल नेकपा एमाले के महासचिव शंकर पोखरेल ने धनगढ़ी में सञ्चारकर्मी से बात करते हुए कहा कि – माओवादी द्वन्द्वकाल में हिंसा मात्र नहीं, राष्ट्र में आतंक सिर्जना करने का काम भी किया गया था । उन्होंने बातचीत के क्रम में यह भी कहा कि प्रचंड के सत्ता से बाहर होने के फैसले ने राष्ट्रीय राजनीति को तनावपूर्ण बना दिया है ।
धनगढ़ी में सञ्चारकर्मी से बात करते हुए पोखरेल ने कहा कि सत्ता खोने के कुण्ठा में माओवादी ने संसद को भी अवरुद्ध किया । ‘सरकार गठन होने के १०० दिन नहीं पहुँचे थे कि उन्होंने संसद में जो अभिव्यक्ति दी वो पूर्णत असंसदीय और अराजनीतिक थी’, उन्होंने कहा कि – उसी अभिव्यक्ति के कारण संसद में गतिरोध उत्पन्न हुआ ।’
माओवादी द्वन्द्व काल में हुए हिंसा की आलोचना करते हुए हिंसा शब्द का प्रयोग किया गया था । इसपर माओवादी ने इसे असंसदीय कहा । इस शब्द को लेकर माओवादी ने संसद अवरुद्ध किया । लेकिन माओवादी द्वन्द्वकाल में हिंसा मात्र नहीं, राष्ट्र में आतंक सिर्जना करने का काम भी हुआ था । ‘दिनदहाडेÞ बस में आग लगना, रात में सो रहे एक ही घर में ११ लोगों को हत्या करने का काम किया । उन्होंने कहा कि ये हिंसा मात्र नहीं है, आतंक भी है ।’
एमाले महासचिव पोखरेल ने बताया कि सत्य निरुपण आयोग गठन करने के क्रम में माओवादी ने स्वयं इसे स्वीकार किया था । उन्होंने कहा ‘सत्ता खोने की कुण्ठा में हिंसा भी असंसदीय है । यह कहकर संसद अवरुद्ध करने का काम किया गया, इनके कारण कानून निर्माण के महत्वपूर्ण समय में संसद स्थगित करना पड़ा ।’ उन्होंने यह कहते हुए धन्यवाद भी दिया कि माओवादी को इस बात का आभास हो गया कि यह उनकी कमजोरी थी और कमजोरी को स्वीकार कर संसद खोलने का काम किया ।