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नेपाल: सड़कें और मकान पानी में डूबे, खिसके पहाड़, बारिश-भूस्खलन से 225की मौत, 28 अभी भी लापता

रतन गुप्ता उप संपादक 
नेपाल: सड़कें और मकान पानी में डूबे, खिसके पहाड़, बारिश-भूस्खलन से 225 की मौत, 28 अभी भी लापता
नेपाल के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं। 20 हजार से अधिक सुरक्षाकर्मी राहत एवं बचावकार्य में जुटे हुए हैं। भारी बारिश और भूस्खलन के चलते राजधानी काठमांडू में 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

नेपाल में बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 225 हो गई। 28 लोग अब भी लापता हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पिछले शुक्रवार से लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ आई और जगह-जगह भूस्खलन हुआ, जिससे हिमालयी राष्ट्र में तबाही मच गई।

*3 दिन से लगातार हुई बारिश*
हालांकि, रविवार से काठमांडू के मौसम में सुधार हुआ है, जिससे आपदा प्रभावित लोगों को कुछ राहत मिली है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषिराम तिवारी ने बताया कि काठमांडू और नेपाल के विभिन्न हिस्सों में तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में मंगलवार सुबह तक मरने वालों की संख्या 225 तक पहुंच गई और 143 लोग घायल हुए हैं। 28 लोग लापता हैं।

*जनजीवन अस्त-व्यस्त*
बाढ़ और भूस्खलन की वजह से देश के कई हिस्सों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई राजमार्ग और सड़कें बाधित हो गई हैं, सैकड़ों मकान और पुल ध्वस्त हो गए हैं या बह गए हैं। सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए हैं। सड़क बाधित होने के कारण हजारों यात्री विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं।
काठमांडू में 50 लोगों की गई जान
गुरुवार से शनिवार तक लगातार हुई बारिश ने पूरे नेपाल में तबाही मचा दी है। काठमांडू घाटी में सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जहां मरने वालों की संख्या 50 को पार कर गई है। बचाव कार्य में नेपाल सेना, सशस्त्र पुलिस बल और नेपाल पुलिस सहित 20,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।

अधिक बारिश होने का ये है कारण
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया भर में बारिश की मात्रा और समय में बदलाव हो रहा है। बाढ़ के प्रभाव में वृद्धि का एक प्रमुख कारण पर्यावरण की स्थिति में बदलाव है, जिसमें विशेष रूप से बाढ़ के मैदानों में गैर नियोजित निर्माण बड़ी वजह है। इसके चलते पानी के ठहराव और निकासी के लिए पर्याप्त जगह नहीं बचती

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