रतन गुप्ता उप संपादक
भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। भारत, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और देमचोक इलाकों से सैनिकों को हटाने का दबाव बना रहा है।
भारत-चीन सीमा पर क्या फिर कुछ बड़ा होने वाला है, क्या भारत और चीन के रिश्तों में अभी भी पहले जैसा तनाव कायम है, क्या सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से सैन्य वापसी के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी है? अगर स्थिति ठीक हुई है तो फिर थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी आखिर यह बयान क्यों देते कि सीमा पर हालात अभी भी सामान्य नहीं हैं। सेना प्रमुख के बयान से साफ है कि चीन अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लिहाजा भारतीय सेना भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हर वक्त कमर कसे बैठी है।
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवदी से जब सीमा पर मौजूदा हालात को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति स्थिर, लेकिन संवेदनशील है और सामान्य नहीं है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि हालांकि, विवाद के समाधान पर दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक वार्ता से एक ‘‘सकारात्मक संकेत’’ सामने आ रहा है, लेकिन किसी भी योजना का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर सैन्य कमांडरों पर निर्भर करता है। वह चाणक्य रक्षा संवाद पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
भारत-चीन में कई कूटनीतिक वार्ताओं के बाद भी हालात नहीं हुए बेहतर
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध का जल्द से जल्द समाधान तलाशने के उद्देश्य से जुलाई और अगस्त में दो चरणों में कूटनीतिक वार्ता की थी। उन्होंने एक सवाल पर कहा, ‘‘कूटनीतिक वार्ता से सकारात्मक संकेत मिल रहा है लेकिन हमें यह समझने की आवश्यकता है कि कूटनीतिक वार्ता विकल्प और संभावनाएं देती हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब जमीनी स्तर पर लागू करने की बात आती है तो इसका निर्णय लेना दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों पर निर्भर करता है।’’ सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘स्थिति स्थिर है लेकिन यह सामान्य नहीं है। और संवेदनशील है। अगर ऐसा है तो हम क्या चाहते हैं? हम चाहते हैं कि अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हो।’’ दोनों सेनाओं के बीच सैन्य गतिरोध मई 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ।
क्यों नहीं दूर हो रहा गतिरोध
दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले बिन्दुओं से कई सैनिकों को हटाया है लेकिन इसके बावजूद अभी तक सीमा विवाद का पूर्ण समाधान नहीं निकला है। जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘जब तक स्थिति बहाल नहीं होती है, हालात संवेदनशील रहेंगे और हम किसी भी प्रकार की आकस्मिक स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस पूरे परिदृश्य में विश्वास को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। उन्होंने चीन के प्रति भारतीय सेना के समग्र दृष्टिकोण पर भी संक्षिप्त चर्चा की। सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘जहां तक चीन का संबंध है तो वह काफी समय से हमारे मन में कौतूहल पैदा कर रहा है। मैं कह रहा हूं कि चीन के साथ आपको प्रतिस्पर्धा करनी होगी, आपको सहयोग करना होगा, आपको एक साथ रहना होगा, आपको मुकाबला करना होगा।’’
चीनी विदेश मंत्री से इसी मुद्दे पर डोभाल ने की थी पिछले महीने मुलाकात
पिछले महीने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस विवाद का जल्द समाधान तलाशने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में वार्ता की थी। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों के सम्मेलन से इतर हुई बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए ‘‘तत्परता’’ से काम करने और अपने प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की थी। बैठक में डोभाल ने वांग को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और एलएसी का सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बनाने के लिए जरूरी है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया था।