रतन गुप्ता उप संपादक
माउंट एवरेस्ट, धरती का सबसे ऊंचा पहाड़ है जो समुद्र की सतह से 29,031.69 फीट ऊंचा है यह लगातार ऊपर जा रहा है. इसकी ऊंचाई बढ़ती जा रही है. वैज्ञानिकों ने स्टडी करके इसके पीछे की वजह एक विचित्र नदी को बताया है. साइंटिस्ट्स का मानना है कि हिमालय में मौजूद एक नदी ने एवरेस्ट की ऊंचाई को 164 फीट बढ़ाया है.
नई स्टडी के मुताबिक यह नदी करीब 75 किलोमीटर लंबी है. जिसे दूसरी नदी ने करीब 89 हजार साल पहले पकड़ लिया था. या यूं कहें कि
उनका संगम हुआ था. इनकी वजह से इरोजन हो रहा है. यानी मिट्टी टूट-टूटकर गिर रही है. जिससे एक बड़ी गहरी घाटी बनी. इससे जमीन
के बड़े टुकड़े का नुकसान हुआ. जिससे यह पहाड़ बना. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के पृथ्वी विज्ञान विभाग के साइंटिस्ट एडम स्मिथ ने कहा कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है एवरेस्ट. हिमालय में आमतौर पर ज्यादातर पहाड़ों की ऊंचाई में 164 से 328 फीट का अंतर है. लेकिन एवरेस्ट दूसरी सबसे ऊंची चोटी K2 से 820 फीट ऊंचा है.
जीपीएस डेटा बताता है कि एवरेस्ट हर साल 2 मिलिमीटर की गति से ऊपर बढ़ रहा है. यह किसी भी पहाड़ के ऊपर बढ़ने की गति से कई गुना ज्यादा है. इसलिए एडम स्मिथ और उनकी टीम ने हिमालय की नदियों की स्टडी शुरू की. कहीं ये तो वजह नहीं बन रही हैं पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ने की. खासतौर से एवरेस्ट की,
स्मिथ ने बताया कि एवरेस्ट के पास अरुण नदी (Arun River) है. यह L के आकार में बहती है. ज्यादातर नदियां किसी पेड़ की तरह होती है. उनकी मोटी शाखा होती है. जो कई शाखाओं में बंट जाती हैं. लेकिन अरुण नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है. इसके बाद 90 डिग्री पर घूम कर हिमालय में दक्षिण की तरफ चली जाती है. इसका मतलब ये है कि नदी ने अपना स्वरूप बदला है, उसने किसी और नदी को पकड़ लिया है. यानी उससे मिल गई है. यह स्टडी हाल ही में नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुई है. इस नदी को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कोसी नदी के नेटवर्क को समझा. यह नदी चीन, नेपाल और भारत में बहती है. इसी ने अरुण नदी को पकड़ रखा है.
अरुण नदी असल में कोसी नदी की मुख्य धारा है. जिसे कोसी ने करीब 89 हजार साल पहले पकड़ा था. नदी की दिशा में आए बदलाव से नदी का इरोजन शुरू हुआ. इससे अरुण नदी एक भयानक घाटी में बहने लगी. ये घाटी इरोजन की वजह से बनी. इस घाटी का बनना और नदी का इरोजन से आसपास का इलाका हल्का हो गया.
आसपास के इलाके का हल्का होने का मतलब लैंडमास का कम होना. इससे एवरेस्ट की ऊंचाई बढ़ने लगी. जब से कोसी नदी ने अरुण नदी को पकड़ा है, तब से अब तक एवरेस्ट 50 से 164 फीट ऊपर उठ चुका है. यह अभी तक पता नहीं चल पाया है कि अरुण नदी कोसी नदी की पकड़ में कैसे आई. इसकी स्टडी हो रही है. संभावना ये है कि कोसी नदी की मुख्य धारा ने अरुण नदी को बीच रास्ते में कहीं कैप्चर किया हो. फिर उसका बड़ा हिस्सा चुरा लिया हो. यानी अरुण को अपने में शामिल कर लिया हो. एक वजह ये भी हो सकती है कि ग्लेशियल लेक बहा हो. जिसकी वजह से अरुण नदी और कोसी नदी के बीच बने प्राकृतिक बांध टूट गया हो. और ये नदियां मिल गई हों.
हिमालय का बनना 4 से 5 करोड़ साल पहले शुरू हुआ था. भारत और यूरेशियन प्लेट की टक्कर से सबडक्शन नहीं हुआ. यानी कोई प्लेट नीचे नहीं धंसी. उस समय भू-भाग ऊपर उठने लगा. पश्चिम से पूर्व तक इसकी लंबाई करीब 2500 किलोमीटर है. इसका पश्चिमी किनारा नंगा पर्वत के पास सिंध नदी के उत्तरी मोड़ के पास मौजूद है.
इसका पूर्वी किनारा नामचा बरवा यानी पारलुंग त्संगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी के पश्चिम में स्थित है. हिमालय की चौड़ाई अलग-अलग जगहों पर अलग है. कहीं 150 किलोमीटर तो कहीं 350 किलोमीटर तक. कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक. हिमालय का 2500 km से लंबा इलाका. सिंधु घाटी के नंगा पर्वत से उत्तर-पूर्व के नामचा बरवा तक. अगर आप हिमालय को ऊपर से देखें तो आपको दिखेगा कि यह पूरी बेल्ट भारत की तरफ लटकी हुई है. यानी कटोरे जैसा.
ये वही हिमालय है जहां पर 8 km से ऊंची दुनिया की 14 चोटियों में से 10 हैं. पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत यानी क्रस्ट के सिकुड़ने से हिमालय के पहाड़ बने. अगर हिमालय के उत्तर-पश्चिम की तरफ देखें तो हिंदुकुश, पामीर और नंगा पर्वत इलाके में क्रस्ट की मोटाई 75 km है. जम्मू और कश्मीर में 60 km है.
हिमाचल प्रदेश में मात्र 51 km है. यानी इस इलाके में आते-आते गहराई कम हो रही है. जबकि ऊंचे हिमालय और तिब्बत की तरफ कस्ट वापस 75 km गहरा है. यानी हिमाचल के बाद से नेपाल तक क्रस्ट के अंदर एक कटोरे जैसी आकृति बनी है