नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन के बीच दशैं उत्सव शुरू, घट स्थापना के साथ हुई शुरूआत


रतन गुप्ता उप संपादक 
हिंदू त्योहार विजया दशमी जिसे नेपाल में दशैं के नाम से जाना जाता है। भूस्खलन और बाढ़ जैसी गंभीर चुनौतियों के बीच गुरुवार को शुरू हुआ। इन प्राकृतिक आपदाओं ने त्योहारी सीजन से पहले वस्तुओं के आयात को बाधित कर दिया है। दशैं, नेपाल के हिंदू और बौद्ध समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है और इसे एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मान्यता प्राप्त है।

दशैं के पहले दिन की शुरुआत घट स्थापना से होती है। जिसमें जौ के बीज जिन्हें जमारा कहा जाता है। एक मिट्टी के बर्तन में बोए जाते हैं। इसके साथ ही एक धातु के बर्तन या कलश में पानी भरकर पूजा की जाती है। काठमांडू में मुख्य जमारा को गुरुवार सुबह एक वैदिक अनुष्ठान के बाद हनुमान ढोका के दशैं घर में रखा गया। घटास्थापना के साथ ही काठमांडू घाटी सहित नेपाल के विभिन्न शक्तिपीठों में पूजा और उत्सव का आरंभ हो गया।

जौ के ये बीज दसवें दिन तक जमारा में बदल जाते हैं। जिन्हें विजया दशमी के दिन टीका के साथ चढ़ाया जाता है। टीका सिंदूर पाउडर, चावल और दही का मिश्रण होता है। जिसे छोटे सदस्यों के माथे पर लगाया जाता है।

इस वर्ष का दशैं उत्सव लगातार हो रही भारी बारिश और उससे उत्पन्न बाढ़ और भूस्खलनों से प्रभावित है। इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण नेपाल में 240 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। गृह मंत्री रमेश लेखक ने बुधवार को सभी अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया। क्योंकि कोशी और बागमती प्रांतों और काठमांडू घाटी में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है।

अब तक प्रभावित क्षेत्रों से 17,000 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है। वहीं दशैं के लिए लाए गए सामान पिछले पांच दिनों से सीमा बिंदुओं पर फंसे हुए हैं। बाढ़ के कारण मार्ग अवरुद्ध होने से ततोपानी और केरुङ सीमाओं पर 300 से अधिक कंटेनर त्योहार और शीतकालीन सामान से लदे खड़े हैं।

दशैं के दौरान नेपाल में सरकारी कार्यालय एक सप्ताह के लिए बंद रहते हैं। जबकि स्कूल और कॉलेजों में दो सप्ताह की छुट्टियां होती हैं। लोग इस दौरान पतंग उड़ाने, ताश खेलने, नए कपड़े खरीदने, मंदिरों में जाने, दावतें तैयार करने और रिश्तेदारों से मिलने जैसी परंपराओं का पालन करते हैं।
दशैं की एक अन्य प्रमुख परंपरा भगवती देवी के मंदिरों में जानवरों की बलि है। हालांकि, पशु अधिकार समूहों और जागरूकता अभियानों के कारण इन बलि अनुष्ठानों में कमी आई है।

नेपाल में दशैं का पर्व इस बार बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं से प्रभावित है। जिससे त्योहार के सामान्य उल्लास में कुछ खलल पड़ रहा है। इसके बावजूद देशभर में लोग उत्सव की परंपराओं और पूजा-अर्चना के माध्यम से दशैं को पूरी श्रद्धा के साथ मना रहे हैं

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