दशहरा पर्व पर खासी खरिदने की प्रथा है भारत से लाखों खासी नेपाल जाती है भारत नेपाल बार्डर से तस्करी से नेपाल जाती है खासी

रतन गुप्ता उप संपादक 
भारत से नेपाल दशहरा पर्व पर खासी बकरी लाखों की संख्या में तस्करी कर नेपाल जाती सोनौली ,खनुवा ,भगवानपुर ठुठीबारी ,बढ़नी बार्डर से लाखों खासी नेपाल में प्रतिदिन जा रहे ।खसीओ को नेपाल भेजा कर तस्कर करोड़ों रुपया कमा रहे हैं हर पकड्डडी से भारत से नेपाल तस्करी जारी है । एक अनुमान के अनुसार दो लाख खासी भेजे जा चुके हैं जो करोड़ों के कारोबार बार्डर पर हो रहे हैं ।काठमांडू घाटी में खासीबो के पश्चिमी तराई और पास के सल्यान, सुरखेत, रुकुम, रोल्पा, गुल्मी, अरघाखांची से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। चौपाया ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष बहादुर खत्री के अनुसार, बाढ़ और भूस्खलन के कारण सड़क अवरुद्ध होने के कारण खोतांग, ओखलढुंगा, रामेछाप, सिंधुली, उदयपुर और कावरे से खासीबोका लाना मुश्किल हो गया है।

हर साल, 45,000 खासीबोका को दसैन पर काठमांडू घाटी में लाया जाता है। इसी तरह, मनांग और मस्टैंग से भेड़ें लाई जा रही हैं। काठमांडू घाटी में तराई की जीवित खासी 720 से 755 रुपये प्रति किलो, पहाड़ी खासी 670 से 750 रुपये, बकरियां 670 से 720 रुपये और चांगरा 1,300 रुपये प्रति किलो बिक रही हैं।

खत्री ने बताया कि काठमांडू घाटी में तुकुचा नदी के तट पर 11,000 खसीबो बाजार से बेचे जा रहे हैं। सींगों पर बिखरा हरा रंग देखें इस बीच, पशु सेवा विभाग उन स्थानों पर पशु चिकित्सकों की एक टीम तैनात करके उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की निगरानी और परीक्षण कर रहा है जहां खसीबो बेचा जा रहा है। तुकुचा में खसीबो के स्वास्थ्य की जांच कर रहे पशुचिकित्सक योगेन्द्र प्रसाद शर्मा ने कहा, ”स्वस्थ खसीबो को बेचा जाता है, बीमार को बेचने की अनुमति नहीं है।” विभाग ने कहा कि स्वस्थ बकरियों के सींगों को हरा और बीमार बकरियों के सींगों को लाल रंग से रंगा जाता है और स्वस्थ्य मवेशी खरीदने का सुझाव दिया गया है.अभी भी भारत नेपाल के बाडरो से खासी की तस्करी जारी है सौकडो तस्कर लगे हुवे है भारत से नेपाल खासी भेजने की होड़ लगी है ।तस्कर खासी तस्करी कर मालामाल हो रहे हैं ।

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