रतन गुप्ता उप संपादक
भिंड जिले के लहार नगर के वार्ड 15 में स्थित मां रतनगढ़ देवी के मंदिर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। नवरात्रि के अवसर पर एक भक्त ने अपनी आस्था और विश्वास के चलते अपनी जीभ काटकर देवी मां को अर्पित कर दी। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी और मंदिर में भारी भीड़ जुट गई।
मंदिर में चढ़ाई जीभ: यह घटना लहार नगर के वार्ड 15 के मां रतनगढ़ देवी मंदिर की है, जिसे स्वर्गीय धनीराम शाक्य ने वर्ष 2015 में अपनी निजी जमीन पर बनवाया था। मंदिर में 21 मार्च 2015 को देवी मां की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मंदिर के पुजारी जयकिशन शाक्य ने बताया कि नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में जवारे बोए गए थे। पंचमी की रात को जवारों की झांकी सजाई गई थी और भक्तगण दर्शन के लिए मंदिर में उपस्थित थे। इसी दौरान, मंदिर के पास रहने वाले रामशरण भगत ने मां रतनगढ़ देवी की प्रतिमा के सामने अपनी लगभग तीन इंच से ज्यादा जीभ काटकर चढ़ा दी। उन्होंने अपनी कटी हुई जीभ को खप्पर में रख दिया, जिसमें खून भर गया। यह घटना मंदिर में उपस्थित लोगों को स्तब्ध कर गई, लेकिन लोगों ने इसे रामशरण की गहरी आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना।
श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक: रामशरण भगत की इस असाधारण भक्ति ने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना दिया है। स्थानीय लोग इसे उनकी गहरी आस्था और देवी मां के प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक मान रहे हैं। घटना के तुरंत बाद, मंदिर पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई और लोग इस चमत्कारिक घटना को देखने और जानने के लिए आने लगे। स्थानीय निवासियों का कहना है कि रामशरण भगत की इस प्रकार की भक्ति में उनका विश्वास है कि देवी मां उनकी जीभ वापस लौटा देंगी और वह फिर से बोलने लगेंगे। उनका यह विश्वास और श्रद्धा देवी मां के प्रति असीम है, और इसी आस्था के चलते उन्होंने अपनी जीभ काटकर देवी को अर्पित कर दी।
आस्था और समर्पण का मामला: यह घटना आस्था और समर्पण का एक उदाहरण है, जहां भक्त अपने देवी-देवताओं के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त करने के लिए असाधारण कदम उठाते हैं। हालांकि यह घटना कई लोगों के लिए अचंभे का कारण हो सकती है, लेकिन धार्मिक आस्थाओं में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं, जहां भक्त अपने भगवान के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को चरम पर ले जाते हैं। लोगों का मानना है कि रामशरण भगत की आस्था उन्हें फिर से जीभ प्राप्त करने में मदद करेगी और वह जल्द ही बोलने लगेंगे। वहीं, मंदिर के पुजारी और स्थानीय निवासी भी इस घटना को श्रद्धा और आस्था का मामला मानते हैं और इसे किसी तरह की चिंता का विषय नहीं मानते।
लोगों का समर्थन: मंदिर के आसपास के लोगों ने भी इस घटना को रामशरण भगत की निजी आस्था का मामला माना और इसे लेकर कोई सवाल नहीं उठाया। सभी को विश्वास है कि देवी मां उनके आस्था के फलस्वरूप उनकी जीभ वापस लौटा देंगी और वह फिर से सामान्य जीवन जी सकेंगे। इस प्रकार, यह घटना न केवल भक्ति और आस्था की चरम सीमा को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि धार्मिक आस्थाओं में श्रद्धालु किस हद तक समर्पण कर सकते हैं।