रतन गुप्ता उप संपादक
पिछले दिनों नेपाल ने नोट पर नया नक्शा छापने को मंजूरी दी थी, जिसमें कई इलाके भारत के दिखाए गए थे. अब नेपाल ने इन नोटों को छापने का टेंडर चीन को दे दिया है. जिससे एक बार फिर भारत और नेपाल से रिश्तों को लेकर एक विवाद शुरू हो सकता है. जानें पूरा मामला.
नेपाल की दहाड़ के पीछे ड्रैगन की फुफकार है! भारत को भड़काने के लिए चीनी कंपनी से हुई डील
सीमा विवाद को लेकर नेपाल और भारत के साथ तनातनी लगातार जारी है. इसके साथ ही नेपाल और भारत के बीच सीमा से जुड़ा विवाद फिर गहराने वाला है. इसे एक बार फिर नेपाल की तरफ से बढ़ाया जा रहा है. नेपाल ने पहले तो अपने देश में नोट बदलने की बात की फिर भारत के तीन हिस्सों को लेकर विवादित नक्शे छापने शुरू किया और अब नोट छापने के लिए चीन की कंपनी से डील भी कर लिया है. जिससे दोनों देशों के बीच विवाद फिर बढ़ने के आसार हैं.
चीन ने लिया ठेका
नेपाल के केन्द्रीय बैंक ‘नेपाल राष्ट्र बैंक’ ने देश के संशोधित राजनीतिक मानचित्र वाले 100 रुपये के नए नोट छापने का ठेका एक चीनी कंपनी को दिया है. नेपाल के मंत्रिमंडल ने 100 रुपये के नोट के डिजाइन में बदलाव को मंजूरी दे दी है. इसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन क्षेत्रों लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताया गया है. नए राजनीतिक मानचित्र को 18 जून, 2020 को नेपाली संविधान में संशोधन कर मंजूरी दी गई थी जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को देश के हिस्से के तौर पर दिखाया गया है.
भारत ने पहले ही जताया विरोध
भारत ने पहले ही नेपाल द्वारा किए गए क्षेत्रीय दावे को ‘‘कृत्रिम विस्तार’’करार दिया और ‘अस्थिर’ करने वाला बताया है. भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिमी नेपाल की सीमा पर स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा उसका हिस्सा है. अंग्रेजी अखबार ‘रिपब्लिका’ के मुताबिक प्रतिस्पर्धी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के बाद ‘चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन’ को यह ठेका दिया गया है. खबर के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने कंपनी से 100-100 रुपये के 30 करोड़ नोट की डिजाइनिंग, मुद्रण, आपूर्ति और वितरण का अनुरोध किया है, जिसकी अनुमानित मुद्रण लागत लगभग 89.9 लाख अमेरिकी डॉलर है. नेपाल राष्ट्र बैंक के प्रवक्ता से हालांकि इस संबंध में प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है