प्राकृतिक चिकित्सा एक औषधि विहीन चिकित्सा पद्धति
बस्ती। सातवें राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर नगर के राम मंदिर सिविल लाइंस में एक संगोष्ठी आयोजित की गई। उपरोक्त कथन विगत तीन दशक से आयुर्वेद ,एक्यूप्रेशर,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में कार्यरत, विश्व संवाद परिषद (योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ) के राष्ट्रीय महासचिव एवं अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के क्षेत्रीय सचिव डॉ नवीन सिंह ने कहा।
उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया की प्राकृतिक चिकित्सा एक औषधि विहीन चिकित्सा पद्धति है। जिसमें मिट्टी, पानी, धूप, हवा, और आकाश से चिकित्सा की जाती है। आज जो बीमारियां हो रही है वह हमारे गलत खान-पान गलत रहन-सहन, अनियमित दिनचर्या, प्रदूषित वातावरण और असंयमित विचार के कारण हो रहे हैं। यदि हम अपने खाने-पीने का तरीका क्या खाएं, कब खाएं, कितना खाएं, कैसे खाएं और क्यों खाएं जान लें तो हम पूरी तरह से स्वस्थ रह सकते हैं, यह चिकित्सा पद्धति बहुत प्रभावी है और आजकल के जो लाइफस्टाइल बीमारियां हो रही है जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, अस्थमा, डायबिटीज, स्ट्रोक, कैंसर, सीबीडी एलर्जी, थायराइड, हृदय रोग आदि इन पर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का थोड़ा मदद लेकर इसको पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
डॉ नवीन सिंह ने बताया कि यह जीवन प्रकृति पर आधारित है, बदलाव ही प्रकृति का नियम है, और बदलाव ही इस जीवन का भी। अपने खान-पान में यदि हम हितभुख,रितुभुख और मितभुक तात्पर्य यह है की यदि हम हितकारी भजन और ऋतुओं के हिसाब से भोजन और भूख से थोड़ा कम खाने की आदत डालें तो निश्चित हमारा स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक हो सकता है और हम रोगों से मुक्त हो सकते हैं। इसके लिए अपने जीव पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है इस अवसर पर प्रयागराज से चलकर आए वरिष्ठ एक्यूप्रेशर, योग और प्राकृतिक चिकित्सक डा० रमेश चंद्रा,डॉ पी सी केसरी, डॉ राजाराम आनंद, डॉ ओमप्रकाश सेठ, डॉ एस एन दुबे, सरोज योगी, अभिषेक द्विवेदी,मानवाधिकार संगठन के पदाधिकारी एस एस तोमर, लल्लन मिश्रा, योगाचार्य राम मोहन पाल, वेदांत सिंह आदि कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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