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भारत से नेपाल के बांके बन रहा तस्करी का अड्डा, नेपाल के रास्ते बांग्लादेश ले जाए जा रहे मवेशी!


*रतन गुप्ता उप संपादक
नेपाल के बांके के दुदुवा ग्रामीण नगर पालिका-4 के कामदी में पिछले कुछ दिनों से मवेशी तस्कर भारत से मवेशियों को इकट्ठा कर उन्हें ले जा रहे हैं और उन्हें आसपास के जंगलों में ले जाया जा रहा है। बांग्लादेश ले जाने के इरादे से एकत्र किए गए 124 मवेशियों को स्थानीय प्रशासन द्वारा नियंत्रण में लेने के बाद जंगल में ले जाया गया।

इससे पहले पुलिस ने तस्करी कर लाए गए मवेशियों को ले जा रहे चार वाहनों को जब्त कर नेपालगंज सीमा शुल्क कार्यालय को सौंप दिया था। प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह पाया गया है कि तस्करों का एक समूह बांके में विभिन्न सीमा चौकियों के माध्यम से भारत से मवेशियों को नेपाल में ला रहा है, फिर उन्हें पूर्वी जिले झापा और फिर बांग्लादेश ले जा रहा है।

खुली सीमा और कमजोर सुरक्षा व्यवस्था के कारण बांके तस्करों के लिए प्रमुख मार्ग बन गया है। सशस्त्र पुलिस द्वारा सुरक्षा प्रदान किये जाने के बावजूद तस्कर आसानी से मवेशियों को नेपाल में ला रहे हैं। नागरिकों के अनुसार, यदि सीमा सुरक्षा और कड़ी कर दी गई होती तो इतने सारे मवेशी नेपाल में प्रवेश नहीं कर पाते।

यद्यपि नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा होने के कारण दोनों देशों से मवेशियों की तस्करी आसान लगती है, लेकिन पुलिस जांच से पता चला है कि भारत और बांग्लादेश के बीच खुली सीमा न होने के कारण भारत से बांग्लादेश तक सीधे मवेशियों की तस्करी करना मुश्किल है। इसलिए कहा जा रहा है कि तस्कर मवेशियों को नेपाल के रास्ते बांग्लादेश ले जा रहे हैं।

बांके जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) तुल बहादुर कार्की के अनुसार हाल ही में मवेशी तस्करी पर नियंत्रण बढ़ा है। तस्करी में शामिल कुछ लोगों की पहचान कर ली गई है, जबकि अन्य की तलाश जारी है। सीमा क्षेत्र से तस्करी को नियंत्रित करने में सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव है। इसका सीधा लाभ तस्करों को मिल रहा है।

एसपी कार्की ने कहा, “हमें सूचना मिली थी कि खुली सीमा के कारण उन्हें भारत से बांके तक कारवां के जरिए लाया जाएगा, फिर ट्रक के जरिए झापा ले जाया जाएगा और वहां से बांग्लादेश में तस्करी की जाएगी, जिसके बाद हमने नियंत्रण कड़ा कर दिया है।”

नागरिक समाज के नेताओं का कहना है कि सीमा सुरक्षा एजेंसियों की मिलीभगत से मवेशियों की तस्करी हो रही है। नागरिकों ने आरोप लगाया है कि घरेलू सामान लाने पर भी सुरक्षाकर्मी उन्हें परेशान कर रहे हैं, लेकिन तस्करों को छूट दी जा रही है।

पुलिस का दावा है कि तस्करी में एक या दो व्यक्ति नहीं बल्कि एक बड़ा गिरोह सक्रिय है। एसपी कार्की ने कहा, “ऐसी तस्करी एक या दो लोगों से संभव नहीं है। यह एक संगठित गिरोह है, जिसमें नेपाल, भारत और बांग्लादेश के तस्कर शामिल हैं।” वे स्थानीय तस्करों से भी सांठगांठ कर रहे हैं।

पता चला है कि अगैया चेकप्वाइंट के जरिए बांके के पश्चिमी भाग में खजुरा व रनियापुर, दक्षिणी भाग में नरायनपुर तथा पूर्वी भाग में फतेहपुर, बिनौना व बैजापुर के रास्ते मवेशियों की तस्करी की जा रही है।

गायों को जंगल में छोड़ दिया जाता है।

तस्करी से जब्त मवेशियों के लिए आश्रय स्थल की व्यवस्था न होने के कारण पुलिस प्रशासन उन्हें जंगल के आसपास छोड़ रहा है।

एसपी कार्की के अनुसार गायों के लिए चारा और घास का इंतजाम करना मुश्किल था, इसलिए उन्हें जंगल में छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा, “इन्हें चरने के लिए जंगलों में छोड़ा जा रहा है, क्योंकि गांवों में छोड़े जाने पर ये किसानों की फसलों को नष्ट कर देते हैं और शहरी क्षेत्रों में छोड़े जाने पर सड़क दुर्घटनाओं का खतरा पैदा करते हैं।”

भारत से बांग्लादेश ले जाने के उद्देश्य से कामडी में एकत्र किए गए 124 मवेशियों को फिलहाल आसपास के जंगलों में छोड़ दिया गया है।

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