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नेपाल सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का पासपोर्ट जब्त करने का किया फैसला, विशेषाधिकार भी रद्द किये नेपाल से पर्यटको का भागना शुरु


रतन गुप्ता उप संपादक 

पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह और नेपाल सरकार में तनाव से नेपाल के विभिन्न जगहों से पर्यटकों का अपनी जान बचाकर भागना शुरु हो चुका है ।
नेपाल सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए उनके सभी सरकारी विशेषाधिकार रद्द करने और पासपोर्ट जब्त करने का निर्णय लिया है। सरकार का आरोप है कि ज्ञानेंद्र ने हिंसक प्रदर्शनों को भड़काने में भूमिका निभाई। यह फैसला शुक्रवार को दुर्गा प्रसाई के नेतृत्व में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद लिया गया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जांच में संदेह जताया गया है कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने इस प्रदर्शन को सुनियोजित तरीके से आयोजित किया था। उनके देश से भागने की संभावना को रोकने के लिए पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।”
शुक्रवार रात हुई आपातकालीन मंत्रिमंडल बैठक में मंत्रियों ने हिंसा के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की। सूत्रों के अनुसार, बैठक में ज्ञानेंद्र की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और उनके विशेषाधिकार छीनने पर गंभीर चर्चा हुई।
शनिवार सुबह से पुलिस ने सबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं। जांचकर्ता हत्या, हत्या का प्रयास, आपराधिक हिंसा और संगठित अपराध के आरोपों पर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शन स्वीकार्य हैं, लेकिन हिंसक कृत्य जो जानमाल के नुकसान और संपत्ति को तबाह करते हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।”
हिंसा में दो की मौत, संपत्ति को भारी नुकसान
ज्ञानेंद्र को फिर से राजा बनाने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन अब अराजकता में बदल गया है। शुक्रवार को टिंकुने में हुए रॉयलिस्ट प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक पत्रकार भी शामिल था। कई सुरक्षाकर्मी और नागरिक घायल हुए, जबकि प्रदर्शनकारियों ने अरबों की निजी संपत्ति को नष्ट कर दिया। भीड़ ने पत्रकार सुरेश राजक को आग के हवाले कर दिया, जिससे उनकी मौत हो गई, वहीं पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में गोली लगने से साबिन महर्जन की जान चली गई

दुर्गा प्रसाई की हरकतों ने भड़काई हिंसा
“राजा को वापस लाओ” अभियान के प्रमुख नेता दुर्गा प्रसाई ने कथित तौर पर अपनी गाड़ी से सुरक्षाकर्मियों को कुचलने की कोशिश की। उनकी इस हरकत ने भीड़ को उकसाया और पथराव शुरू हो गया। स्थिति बेकाबू होने पर अभियान के नेता नवराज सुबेदी मौके से भाग गए, जबकि प्रसाई अपनी गाड़ी लेकर फरार हो गए। उनके जाने के बाद उग्र भीड़ ने निजी घरों में आग लगा दी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
संपत्ति को भारी नुकसान
हिंसक भीड़ ने जदीबुटी प्रोसेसिंग एंड प्रोडक्शन कंपनी के आठ वाहनों को जला दिया। इसके अलावा, ट्रैफिक पुलिस चौकी को नष्ट कर दिया गया, माओवादी केंद्र के पेरिस डांडा मुख्यालय में मोटरसाइकिलों को तोड़ा गया और सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के मुख्यालय में आग लगा दी गई। कोटेश्वर में भाटभटेनी सुपरमार्केट को लूटा और तहस-नहस कर दिया गया।
सरकार ने इस हिंसा को गंभीरता से लिया है और दोषियों को कड़ी सजा देने की तैयारी कर रही है।पुरे नेपाल में तनाव बना गया है कुछ भी हो सकता है ।

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