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नेपाल सेना ने तीसरी गोरखा-जीतगढ़ी एकीकरण यात्रा की,राजा काल में विटिश इस्ट ईन्डिया कम्पनी को हराये थे

रतन गुप्ता उप संपादक 

नेपाल में नेपाली सेना ‘दूसरा ऐतिहासिक गोरखा-जीतगढ़ी एकीकरण ट्रेक’ शुरू कर रही है। रिपुमर्दन बटालियन ने बताया कि स्थानीय स्तर पर समन्वय स्थापित कर चैत्र 10 से ट्रेक शुरू किया जाएगा।

गणपति अशोक कुमार छेत्री ने बताया कि यह ट्रेक गोरखा से शुरू होकर तनहुं, पाल्पा से होते हुए जीतगढ़ी में समाप्त होगा। उनके अनुसार, उस समय पृथ्वी नारायण शाह द्वारा गठित पांच बटालियन (बूढ़ा गोरख, कालीबक्स, बर्दवानी, सावुज और श्रीनाथ) तथा जीतगढ़ी की लड़ाई में भाग लेने वाली गुरुबक्स बटालियन इस यात्रा में भाग लेंगी। उन्होंने बताया कि प्रतिभागी अपनी-अपनी बटालियनों के झंडों के साथ यात्रा पर निकलेंगे।

उन्होंने कहा कि गोरखा दल पलुंगतार के सतीघाट पहुंचकर प्रकाश के प्रतीक के रूप में मशाल को तनहुन को सौंपेगा और तनहुन इसे पाल्पा को सौंप देगा। गणपति छेत्री ने कहा, “पालपा का मतलब रूपन्देही है और रूपन्देही टीम जीतगढ़ी पहुंचती है और जीत के जश्न में भाग लेती है।”

उनके अनुसार नेपाल और तत्कालीन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच लड़ाई में जीत के दिन (बैशाख 7) को विजय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इसी महोत्सव में भाग लेने के लिए एक ट्रेक शुरू किया जा रहा है।

नगरपालिका कार्यालय के अनुसार, बुटवल उप-महानगर पालिका नेपाल-ब्रिटिश युद्ध के दौरान रूपन्देही के जीतगढ़ी किले में लड़ाई में विजय दिवस की याद में हर साल बैसाख 7 को विजय दिवस के रूप में मनाती है। गोरखा-जीतगढ़ी ट्रेक का आयोजन उसी ऐतिहासिक घटना को और अधिक महत्व देते हुए किया गया है।

ऐसा माना जाता है कि इस दौरे से एकीकरण के दौरान उपयोग किए गए किलों, महलों, प्रासादों और मार्गों के संरक्षण, संवर्धन और विकास में मदद मिलेगी। सेना ने 2079 ईसा पूर्व से गोरखा दरबार-जीतगढ़ी एकीकरण मार्ग पर ट्रैकिंग शुरू की थी। इतिहास के जानकारों का कहना है कि 7 बैसाख 1872 ई. को जीतगढ़ी किले पर नेपाल से हारने के बाद ब्रिटिश सेना पीछे हट गई थी।

नेपाल में रिपुमर्दन बटालियन ने कहा है कि नेपाली सेना की जीत की याद में हर साल बैसाख 7 तारीख को जीतगढ़ी में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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