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गोरखपुर GST ने स्क्रैप लदीं छह गाड़ियां पकड़ीं, 150 दिन में स्क्रैप की 125 गाड़ियों पर हुई कार्रवाई

रतन गुप्ता उप संपादक 

फर्जी ई-वे बिल के जरिये धंधेबाज सरकार के राजस्व को चूना लगा रहे हैं, इसलिए अब सख्ती शुरू हो गई है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की टीम ने पांच महीनों में स्क्रैप लदीं 125 गाड़ियां पकड़ी हैं। इन गाड़ियों पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की टीम ने शनिवार को देवरिया के हेतिमपुर के पास से छह गाड़ियां पकड़ीं। इन सभी गाड़ियों पर लोहे का अवैध स्क्रैप लदा था। ये गाड़ियां बिहार से पंजाब जा रही थीं। जांच में पता चला है कि धंधेबाजों की फर्जी ई-वे बिल के जरिये हरियाणा में स्क्रैप खपाने की तैयारी थी।

टीम ने गाड़ियों को सीज करते हुए 20 लाख रुपये की कर चोरी निर्धारित की है। जीएसटी की एक टीम पंजाब जाकर जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी। गाड़ियों को स्क्रैप संग सीज कर दिया गया है।

 

ज्वाइंट कमिश्नर रेंज बी, एसआईबी प्रदीप सोनी ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली कि बिहार से स्क्रैप लदीं गाड़ियां कुशीनगर और देवरिया के रास्ते गोरखपुर से होकर आगे जाएंगी। इसी सूचना पर उन्होंने अपनी टीम के साथ घेराबंदी की। शाम को हेतिमपुर के पास आगे-पीछे छह ट्रक आते दिखे। रोककर पूछने पर गाड़ी से किसी भी स्क्रैप के सामान के संबंध में उचित कागजात नहीं मिले सके।

उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ गाड़ियों से ई-वे बिल तो थे, लेकिन उनके फर्म के प्रमाण नहीं मिले। ऐसे में टीम इन प्रपत्रों की जांच करने और ई-वे बिल की सत्यता की जांच करने के लिए संबंधित पते पर जाएगी। प्रथमदृष्टया प्रपत्र फर्जी लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक गाड़ी पर लगभग दो से तीन लाख रुपये का स्क्रैप लदा था।

बिहार से पंजाब तक स्क्रैप के धंधेबाजों का जाल
लोहे के स्क्रैप के धंधेबाजों का जाल बिहार से लेकर पंजाब समेत अन्य राज्यों तक फैला है। फर्जी ई-वे बिल के जरिये धंधेबाज सरकार के राजस्व को चूना लगा रहे हैं, इसलिए अब सख्ती शुरू हो गई है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की टीम ने पांच महीनों में स्क्रैप लदीं 125 गाड़ियां पकड़ी हैं। इन गाड़ियों पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

लंबे समय बाद गोरखपुर मंडल में स्क्रैप के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है। कुशीनगर में बीते नौ अप्रैल को एक साथ 12 गाड़ियों को स्क्रैप के साथ जीएसटी की टीम ने पकड़ा था। सभी गाड़ियों पर संबंधित थाने में केस भी दर्ज किया गया था।
जीएसटी के मुताबिक, शनिवार को पकड़ी गई सभी गाड़ियों से मिले कागजात में फर्में बोगस थीं, जिनपर ई-वे बिल बनाकर स्क्रैप के धंधे को चलाया जा रहा था। कई स्क्रैप के कागजात में ई-वे बिल भी नहीं था।

जीएसटी के अधिकारियों को सूचना मिली कि बिहार से स्क्रैप लेकर ये गाड़ियां पूरे प्रदेश में जाती हैं। प्रवेश गोरखपुर से होता है। इसी सूचना पर एसआईबी की टीम ने घेराबंदी कर बिहार से कुशीनगर या देवरिया से होकर आने वाले रास्तों पर निगरानी तेज कर दी।
सूत्रों ने बताया कि बिहार के धंधेबाज की मुखबिरी के आधार पर जीएसटी विभाग की एक टीम इस अभियान में लगी थी। टीम में शामिल अधिकारियों ने पांच महीने पहले गोपनीय तरीके से अपना परिचय लोहे के बड़े सरिया कारोबारी के रूप में कुशीनगर के एक धंधेबाज से कराया था। उनकी बात और डिमांड से सहमत होकर धंधेबाज ने मुलाकात बिहार के बड़े धंधेबाज से कराई थी।

इसी इनपुट के आधार पर टीम ने कुशीनगर और देवरिया के रास्तों पर अपनी टीम निगरानी के लिए लगा दी थी। इसी आधार पर टीम ने जनवरी से अभी तक लगातार 125 गाड़ियों को पकड़ जब्त किया। जीएसटी के सूत्रों ने बताया कि बिहार से लोहे के स्क्रैप का धंधा खूब चलता है।
ऐसे फलता-फूलता है धंधा
जीएसटी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अक्सर बोगस फर्में पकड़े जाने पर पता लगता है कि ये सेंट्रल जीएसटी में पंजीकृत हैं। सूत्रों ने बताया कि फर्जी फर्मों के सहारे काम करने वाले धंधेबाज सेंट्रल जीएसटी में बड़ी आसानी से पंजीकरण करवा लेते हैं।

इसके लिए सब्जी, ठेले या अन्य छोटे-बड़े काम करने वाले व्यापारियों के नाम पर ये आवेदन कर देते हैं। स्टेट जीएसटी में आवेदन किए फर्म के दफ्तर के पते का भौतिक परीक्षण किया जाता है। जबकि, सेंट्रल जीएसटी में पंजीकरण के लिए आवेदन के तीन दिन के भीतर ही आधार, पैन और एड्रेस के बाद पंजीयन हो जाता है। इसी लूपहोल के जरिये स्क्रैप का धंधा फलता-फूलता है।
जीएसटी की टीम ने पिछले दिनों में एक बोगस फर्म को पकड़ा था। इस फर्म द्वारा बिहार से बड़ी मात्रा में स्क्रैप लेकर दूसरे राज्य ले जाया जा रहा था। सूत्रों ने बताया कि शहर की कुछ फर्में चिह्नित की गई हैं। इनकी निगरानी की जा रही है। जीएसटी की टीमें लगातार कार्रवाई कर रही है। पांच महीने में स्क्रैप लदीं 150 गाड़ियां पकड़ी गई हैं। इससे जुड़े कुछ स्थानीय नेटवर्क की भी जानकारी हुई है। उनकी निगरानी की जा रही है। -प्रदीप सोनी, ज्वाइंट कमिश्नर रेंज बी,

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