रतन गुप्ता उप सम्पादक
एक जमाने में भारतीय रेलवे के बाद सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा अब इस दुनिया में नहीं हैं। लंबी बीमारी के बाद 75 साल की उम्र में मुंबई में निधन के बाद सहारा परिवार में ‘सहाराश्री’ के नाम से मशहूर देश के ये बिजनेसमैन अपने जाने के साथ ही कई बड़े सवाल भी छोड़ गए हैं। सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास सहारा ग्रुप की 25,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की जो रकम पड़ी हुई है, उसका आगे क्या होगा? क्या वह सहारा के मूल निवेशकों को आसानी से मिल सकेगा? सहारा समूह लंबे समय से कानूनी लड़ाइयों में उलझा रहा है सुब्रत रॉय अपने सहारा समूह की कंपनियों को लेकर कई रेगुलटरी और कानूनी लड़ाइयां लड़ रहे थे। इसमें पोंजी योजनाओं के साथ-साथ नियमों को ताक पर रखकर फंड जुटाने, चिटफंड का धंधा करने, बेनामी निवेश जैसे गंभीर आरोप भी शामिल हैं। हालांकि, सहारा ग्रुप ने हमेशा ही इन आरोपों को खारिज किया है। सहारा-सेबी विवाद क्या है? सहारा-सेबी विवाद की शुरुआत तब हुई जब कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIREL) और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) को 3 करोड़ निवेशकों को पैसे लौटाने का आदेश जारी किया। यह निवेश कुछ बॉन्ड के जरिए किए गए थे, जिसे वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बॉन्ड (OFCDs)के नाम से जाना जाता है। तब सेबी की ओर से कहा गया कि सहारा समूह की इन दोनों कंपनियों ने उसके तमाम नियमों और विनियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ये पैसे जुटाए थे। सहारा की कब बढ़ गई समस्या? इसके बाद सेबी और सहारा के बीच लंबी कानूनी लड़ाई चली। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। दोनों ओर से कानूनी रास्ते तलाशने की कोशिश होती रही। आखिरकार 31 अगस्त, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के निर्देशों को सही ठहराते हुए सहारा की दोनों कंपनियों को जमा किए गए पैसे 15% ब्याज के साथ निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया। यही नहीं सहारा समूह से कहा गया कि वह अनुमानित 24,000 करोड़ रुपए सेबी के पास जमा कर दे, ताकि वह रकम निवेशकों को लौटाई जा सके। लेकिन, सहारा इसी दलील पर अड़ा रहा कि वह पहले ही 95% से ज्यादा निवेशकों को पैसे लौटा चुका है। सेबी ने 11 वर्षों में लौटाए 138.07 करोड़ रुपए कैपिटल मार्केट रेगुलेटर की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)ने 11 वर्षों में सहारा समूह की दोनों कंपनियों के निवेशकों को 138.07 करोड़ रुपए वापस किए हैं। इस दौरान रिफंड के लिए जो एक विशेष बैंक अकाउंट खोला गया था, उसमें जमा धनराशि बढ़कर 25,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो चुकी है। इसी सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च, 2023 तक सेबी को 19,650 आवेदन मिले जो कि 53,687 खातों से जुड़े थे। इसमें से सेबी की ओर से 48,326 खातों से संबंधित 17,526 आवेदनों का निपटारा किया गया, जिसके लिए 138.07 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ। इसमें से 67.98 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर अदा किए गए। राष्ट्रीयकृत बैंकों में 25,163 करोड़ रुपए से अधिक रकम जमा अन्य खातों से संबंधित बाकी आवेदनों को लेकर सहारा की दोनों कंपनियों के माध्यम से उनका कोई पता नहीं चल पाया, जिसकी वजह से उन्हें बंद कर देना पड़ा। इस तरह से इस साल यानि 31 मार्च, 2023 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों में लगभग 25,163 करोड़ रुपए की रकम जमा थी, जो अब और बढ़ गई होगी। सहारा समूह की कंपनियों पर अनियमितताओं के गंभीर आरोप लग चुके हैं। 2014 की शुरुआत में नोएडा के सेक्टर-11 स्थिति सहारा के दफ्तर में आयकर विभाग की रेड तक पड़ चुकी है। कंपनी पर धांधलियों के आरोपों की वजह से सुब्रत रॉय सहारा को लंबे समय तक तिहाड़ में भी रहना पड़ा था और बड़ी मुश्किल से जमानत पर छूट कर बाहर आए थे। इन कानूनी विवादों के चलते समूह की प्रगति पर भी असर पड़ा। इसे भी पढ़ें- Subrata Roy: कभी स्कूटर पर बेचते थे बिस्कुट और नमकीन, जानिए सुब्रत रॉय ने कैसे फैलाया विशाल साम्राज्य? अब सवाल यह भी उठ रहे हैं कि सुब्रत रॉय के निधन के बाद सहारा के निवेशकों का निवेश क्या अब पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है? मोदी सरकार ने हाल ही में सहारा के निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए (https://mocrefund.crcs.gov.in/) एक पोर्टल भी लॉन्च किया था। जानकारों की मानें तो रॉय के निधन से इस प्रक्रिया के तहत रकम मिलने पर प्रभाव नहीं पड़ेगा और जो तय किया गया है, उसी का पालन करते हुए निवेशक अपना निवेश वापस पा सकेंगे।