रतन गुप्ता उप संपादक
चीन में निमोनिया के प्रकोप ने उसके पड़ोसियों और कुछ अन्य देशों में चिंता बढ़ा दी है। कड़े कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील देने के बाद चीन में काफी तेजी से सांस संबंधी ये बीमारी बढ़ी है, खासकर बच्चों में काफी तेजी से बीमारी फैल रही है, लिहाजा अब डर सता रहा है, कि क्या चीन की ये नई बीमारी, एक बार फिर से दुनिया की टेंशन तो नहीं बढ़ाने वाला है? चीन में बच्चों में सांस की बीमारी के बड़े पैमाने पर मामले सामने आने के बाद भारत, थाईलैंड और नेपाल सहित देश अलर्ट पर हैं और निगरानी बढ़ा दी है। श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण चीन में अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में वृद्धि ने कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों की यादें ताजा कर दीं, हालांकि बीजिंग ने आश्वासन दिया है, कि स्पाइक के पीछे कोई “असामान्य या नए रोगज़नक़” नहीं थे,लेकिन कोविड को लेकर चीन ने जो लापरवाही की थी, वो चीनी आश्वासन को संदिग्ध बनाता है। किन देशों में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी जा रही है? इसके प्रसार को रोकने के लिए एशियाई देशों द्वारा क्या उपाय किये जा रहे हैं? क्या हमें चिंतित होना चाहिए? आइये समझते हैं.. श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि Rajasthan Exit Poll 2023: BJP और Congress में से कौन आगे, क्या समीकरण? | वनइंडिया हिंदी #shorts चीन श्वसन संबंधी बीमारियों में उछाल से जूझ रहा है, राजधानी बीजिंग और लियाओनिंग प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमण में वृद्धि के लिए इन्फ्लूएंजा, राइनोवायरस, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी), एडेनोवायरस और बैक्टीरिया माइकोप्लाज्मा निमोनिया जैसे कई रोगजनकों के प्रसार को जिम्मेदार ठहराया है। एनालिटिक्स फर्म एयरफिनिटी के मुताबिक, चीन के अस्पतालों में संक्रमण का पैमाना “अभी तक अज्ञात” है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में फर्म ने कहा, कि शंघाई के रेनजी अस्पताल में पिछले साल की तुलना में नवंबर के बाद से बाल चिकित्सा आउट पेशेंट यात्राओं में 175 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वहीं, इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग में एक बच्चों के अस्पताल ने राज्य मीडिया सीसीटीवी को बताया है, कि प्रतिदिन कम से कम 7,000 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है, जो उसकी क्षमता से काफी ज्यादा है। चीन की राजधानी से लगभग 690 किमी उत्तर पूर्व में स्थित लियाओनिंग प्रांत में भी बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। चीन एकमात्र देश नहीं है, जहां श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी जा रही है, जिसमें माइकोप्लाज्मा निमोनिया के मामले भी शामिल हैं। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर के मध्य में दक्षिण कोरिया में ऐसे मामलों में 31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है, कि दक्षिणी वियतनाम में, बाल चिकित्सा वार्डों में आरएसवी, इन्फ्लूएंजा और हाथ, पैर और मुंह की बीमारी जैसे विभिन्न मौसमी संक्रमणों से पीड़ित मरीज आ रहे हैं। नेपाल आ गई है क्या चीनी बीमारी? नेपाल में इन्फ्लूएंजा और माइकोप्लाज्मा निमोनिया सहित श्वसन संक्रमण में भी वृद्धि दर्ज की गई है। काठमांडू के टेकु में सुक्रराज उष्णकटिबंधीय और संक्रामक रोग अस्पताल के प्रमुख डॉ शेर बहादुर पुन ने द टेलीग्राफ को बताया है, कि “बच्चों में फ्लू जैसे लक्षण तेजी से अनुभव हो रहे हैं।” उन्होंने कहा, कि “हाल के हफ्तों में, नेपाल आने वाले पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, मेरा मानना है कि चीन से उत्पन्न होने वाले संभावित प्रकोप के लिए तैयार रहना हमारे लिए महत्वपूर्ण है।” लिहाजा, अब भारत को काफी ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि हम कोविड के समय के हालात को देख चुके हैं। हालांकि, केन्द्र सरकार ने राज्यों को सतर्क रहने और अस्पतालों में ऑक्सीजन समेत तमाम चिकित्सा सुविधाओं को दुरूस्त रखने के लिए कहा है, लेकिन लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। एशिया ही नहीं, एक यूरोपीय देश में भी सांस की बीमारी में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नीदरलैंड में निमोनिया के मामलों में वृद्धि देखी गई है, खासकर बच्चों में। द मैसेंजर की रिपोर्ट के मुताबिक, नीदरलैंड इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ सर्विसेज रिसर्च (एनआईवीईएल) के अनुसार, 5-14 आयु वर्ग के प्रत्येक 100,000 बच्चों में से 80 पिछले सप्ताह निमोनिया से संक्रमित मिले हैं