रतन गुप्ता उप संपादक
महराजगंज।सोनौली ,नौतनवा सहित महराजगंज शहर के प्रमुख होटलों को छोड़ अगर आप किसी अन्य होटल में ठहरने की सोच रहे हैं तो अपनी सुरक्षा का इंतजाम स्वयं कर लें। क्योंकि खुदा न खास्ता अगर आपके साथ कोई हादसा हो जाता है तो आप दावा नहीं कर सकेंगे। क्योंकि शहर के करीब 30 होटल पर्यटन विभाग के नियम कानून को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। यह बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं।
सराय एक्ट में पंजीकरण के लिए होटल, लॉज और गेस्ट हाउस प्रबंधन को खाद्य सुरक्षा, अग्निशमन विभाग, पर्यावरण विभाग, बिजली निगम, जीडीए से एनओसी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से चरित्र प्रमाणपत्र लेना होता है। इतने विभागों से एनओसी लेने के लिए होटल में सबकुछ नियम कायदे के मुताबिक ही होना चाहिए। इन सबसे बचने के लिए होटल प्रबंधन, सराय एक्ट के तहत पंजीकरण ही नहीं करा रहे हैं। ऐसे होटल संचालकों को पर्यटन विभाग की ओर से नोटिस भेजा जा चुका है।
शहर के कुछ प्रमुख होटलों को छोड़ दें तो तमाम होटलों और गेस्ट हाउस की व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। ग्राहकों की सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करने की कोई गारंटी लेने वाला नहीं है। यदि किसी ग्राहक के साथ कोई अनहोनी या गड़बड़ी हो भी जाए तो वह किसी तरह की शिकायत या दावा करने की स्थिति में नहीं होता है। जबकि आए दिन इन होटलों में ग्राहकों के साथ किसी न किसी घटना की शिकायतें पुलिस तक पहुंचती ही रहती हैं।
ब्रिटिश काल में वर्ष 1867 में बनाया गया था सराय एक्ट
ब्रिटिश काल में वर्ष 1867 में सराय एक्ट बनाया गया था। अंग्रेजों के जमाने के इस एक्ट में आज भी होटलों का पंजीकरण किया जा रहा है। एक्ट में सराय से आशय ऐसे भवन से माना गया था, जिसे यात्रियों के आश्रय और आवास के लिए प्रयोग में लाया जाता हो। एक्ट में प्रावधान है कि डीएम कार्यालय में एक रजिस्टर रखा रहेगा, इसमें वह स्वयं या उसके द्वारा नामित व्यक्ति अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर आने वाली सभी सरायों, सरायपालों के नाम, निवास स्थान की प्रविष्टि करेगा। लेकिन इन नियमों से कोई डरता नहीं है। इसलिए मनमानी जोरों पर है।
बिना पंजीकरण के संचालित होटल व लॉज को नोटिस दिया जाएगा। नियम का सख्ती से पालन कराने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी।
डॉ. पंकज कुमार वर्मा, अपर जिलाधिकारी,
शहर में जमकर हो हरा भूगर्भ जल दोहन, बड़े खतरे पैदा हो सकते————
महराजगंज। शहर में जमकर भूगर्भ जल दोहन हो रहा है। यदि ऐसा होता रहा तो आने वाले समय में बड़े खतरे पैदा हो सकते हैं। इसी के चलते बिना एनओसी लिए भूगर्भ जल का दोहन करने वाले 40 होटल और बैंक्वेट हाॅल हैं। गली-गली में आरओ प्लांट लगाकर पानी बेचने वाले भूगर्भ का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं। फिल्टर के लिए लगी मशीन जितना पानी उपयोग के लिए शुद्ध करती है, उससे दो गुना नालियों में बहा दिया जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, भूगर्भ जल अधिनियम 2019 के तहत कृषि और घरेलू प्रयोग को छोड़कर सभी प्रकार की संस्थाओं को भूगर्भ जल विभाग की ओर से एनओसी लेने का नियम है।
अत्यधिक दोहन का दुष्प्रभाव सेहत पर भी
उप्र भूगर्भ जल (प्रबंधन एवं विनियमन) कानून 2019 के तहत कृषि एवं घरेलू उपयोग के लिए भूजल दोहन की छूट है। लेकिन इस कानून की आड़ में कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान व संस्थान भूगर्भ जल का अत्यधिक दोहन करते हैं। इसका दुष्परिणाम यह है कि जलस्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। पानी की बर्बादी से कई इलाकों में जल संकट भी खड़ा हो रहा है। भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन का दुष्प्रभाव लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है।