रतन गुप्ता उप संपादक
रामलला की अचल मूर्ति को 17 जनवरी को अयोध्या नगर में घुमाया जाएगा—
अयोध्या भ्रमण के दौरान रामलला की मूर्ति का चेहरा ढका रहेगा——–
अयोध्या 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले रामलला की अचल मूर्ति को 17 जनवरी को अयोध्या नगर में घुमाया जाएगा. इस दौरान मूर्ति का चेहरा ढका रहेगा, क्योंकि सनातन परंपरा के मुताबिक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले उसका चेहरा नहीं दिखाया जा सकता. इसके बाद सभी अन्य वैदिक अनुष्ठान शुरू होंगे.
गौरतलब है कि भगवान राम की 5 साल की उम्र की मूर्ति का निर्माण कराया गया है, जिसकी लंबाई पैर से ललाट तक 51 इंच है. उम्मीद है कि 5 जनवरी तक रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर में लगने वाली मूर्ति पर निर्णय ले लेगी. बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 7 दिन पहले 16 जनवरी से ही शुरू हो जाएगा. इसके बाद 22 जनवरी को महज 84 सेकेंड के सूक्ष्म अभिजीत मुहूर्त में भगवान रामलला के अचल मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इसके बाद उसी दिन महापूजा होगी और महाआरती भी होगी.
22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त के वे अति सूक्ष्म मुहूर्त 84 सेकेंड दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड के बीच होंगे. आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके बेटे पंडित अरुण दीक्षित के साथ देशभर के 121 वैदिक ब्राह्मण इस पूजा को संपन्न कराएंगे. राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले लक्ष्मीकांत दीक्षित के पुत्र पंडित अरुण दीक्षित के मुताबिक, किसी भी मूर्ति की जब मंदिर या घर में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, उसमें देवत्व आता है यानी प्राण आता है. इसे मूर्ति का जागृत होना भी कह सकते हैं. मूर्ति को रथ पर या जो भी साधन हो उसमे लाया जाता है. उसके बाद हवन होता है. सबसे पहले मूर्ति को जल में डुबाते हैं, जिसे जलधिवास कहते हैं. ऐसा इसलिए ताकि अगर मूर्ति में कोई छेद या त्रुटि रह गई हो तो कारीगर उसे देख ले. फिर शहद और घी से दरार को खत्म किया जाता है. एक रात अन्न मे मूर्ति बैठाई जाती है. जिसे अन्नाधिवास कहते हैं. इसके बाद 108 कलशों से स्नान होता है. इसमें गौ मूत्र, गोबर, दूध के साथ औषधियों, पुष्पों, छाल, पत्तों से भरे कलशों से स्नान कराया जाता है. पत्ते में आम, वट, सेवर, पाकड़, जामुन आदि होते हैं. जड़ीबूटियों में सहदेवी, जटामासी, विष्णुक्रांता आदि होती हैं.
7 दिन चलेगा प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान
16 जनवरी: मंदिर ट्रस्ट के यजमान द्वारा प्रायश्चित, सरयू तट पर कदशविध स्नान, विष्णु पूजन और गोदान.
17 जनवरी: शोभायात्रा अयोध्या भ्रमण करेगी, श्रद्धालु कलश में सरयू का जल लेकर मंदिर पहुंचेंगे.
18 जनवरी: गणेश अंबिका पूजन, वरुण पूजन, मातृका पूजन, ब्राह्मण वरण, वास्तु पूजन आदि से अनुष्ठान प्रारंभ.
19 जनवरी: अग्नि स्थापना, नवग्रह स्थापना और हवन.
20 जनवरी: गर्भगृह को सरयू के जल से धोकर वास्तु शांति और अन्नाधिवास कांड होंगे.
21 जनवरी: 125 कलश से मूर्ति का दिव्य स्नान.
22 जनवरी: मृगशिरा नक्षत्र में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी.