रतन गुप्ता उप संपादक
समाजवादी पार्टी के लिए मंगलवार का दिन कई झटकों वाला साबित हुआ. राज्यसभा चुनाव के पहले पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में 8 विधायक नहीं पहुंचे थे. दूसरी तरफ ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय ने चीफ व्हिप पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने भी पार्टी के उम्मीदवार को अपना वोट नहीं दिया. समाजवादी पार्टी का ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले मनोज पांडेय के अलग हो जाने से भी पार्टी को बड़ा नुकसान होगा.
मनोज पांडेय के बारे में सूत्रों ने कहा है कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने जा रहे हैं. इसके बाद संभव है कि वे भाजपा ज्वॉइन कर लें और उन्हें रायबरेली से पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाए. दूसरी तरफ राज्य मंत्री दिनेश सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि भाजपा नेतृत्व जिसे भी प्रत्याशी बनाएगा; रायबरेली की जनता और पार्टी के साथ मिलकर उसे तन मन धन से चुनाव लड़ाऊंगा और कमल खिलाऊंगा, यही मेरा संकल्प है.
रायबरेली में हो रहा है इंतजार, क्या कह रहे हैं क्षेत्रीय नेता
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह शामिल थे, लेकिन फिर उन्होंने पाला बदल लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. 2019 का लोकसभा चुनाव भी उन्हें सोनिया गांधी के खिलाफ ही लड़ा था. वहां के स्थानीय नेताओं का कहना है कि रायबरेली से योग्य उउम्मीदवार को टिकट मिलनी चाहिए ताकि क्षेत्र का पिछड़ा पन दूर हो सके.
समाजवादी पार्टी को होगा नुकसान, पार्टी नेताओं ने दी ये नसीहत
विधायक मनोज पांडेय क्षेत्र ही नहीं बल्कि प्रदेश में बड़े ब्राह्मण नेता के तौर पर पहचान रखते हैं. अखिलेश यादव ने भी उन्हें चीफ व्हिप बनाया था; लेकिन वे मनोज पांडेय की नाराजगी दूर नहीं कर पाए. दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य के राष्ट्रीय महासचिव बनाने और हिंदू विरोधी बयानों पर मनोज पांडेय ने आपत्ति ली थी. इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मनोज पांडेय को शांत रहने को कहा था. मनोज पांडेय के समाजवादी पार्टी से दूर होने पर बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. सूत्रों का कहना है कि इससे ब्राह्मण वोटर्स पार्टी से दूरी बना सकते हैं. इससे पहले समाजवादी पार्टी ने पीडीए यानी पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर भी पार्टी नेताओं को नाराज