*रतन गुप्ता उप संपादक
अयोध्या से आयी बारात को मटिहानी मठ में मान महंत जगन्नाथ दास शास्त्री की अध्यक्षता में उनके सम्मान में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था।इस कार्यक्रम में अपने स्वागत भाषण में मटिहानी मठ के उत्तराधिकारी महंत डॉ.रविन्द्र दास वैष्णव ने कहा कि मटिहानी का महत्व रामायण काल से ही हैं क्योंकि सीता माता के मटकोर यही के सरोवर के मिट्टी से हुआ था।आज भी मृतखनी सरोवर मठ के सामने हैं। उन्होंने कहा कि भारत तथा नेपाल भले ही दो देश हैं। लेकिन दोनो देशों के सांस्कृतिक समानता है। रोटी बेटी का संबंध त्रेता युग से चला आ रहा है।इस संबंध को और मजबूत बनाना है। कार्यक्रम में अयोध्या से आयेगा बारात के संयोजक तथा विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री, नेपाल प्रभारी राजेंद्र सिंह पंकज ने कहा कि पांच साल पर अयोध्या से जनकपुरधाम बारात आने की परंपरा है।इस वार तिलक उत्सव तथा बाराती आने का निमंत्रण कार्यक्रम भी प्रारंभ किया गया है। इससे अयोध्या तथा जनकपुरधाम का संबंध में और प्रगाढ़ता आएगी। राजेंद्र सिंह पंकज ने कहा कि मिथिला की सभ्यता और संस्कृति, खान-पान, भाषा की चर्चा दुनिया भर में है। कार्यक्रम में मटिहानी के मेयर हरि प्रसाद मंडल, मनरा सिस्वा के मेयर मोहन पांडेय, विश्व हिन्दू परिषद नेपाल के उपाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद साह, महासचिव जीतेन्द्र सिंह, महंत सत्य नारायण दास सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।इस अवसर पर जनकपुरधाम के रंग दर्पण के कलाकारों द्वारा। मंगलयान, झिझिया तथा जट -जटिन आदि नृत्य प्रस्तुत किया गया।फिर मटिहानी के मेयर हरि प्रसाद मंडल के नेतृत्व में मधवापुर, मटिहानी के दो हजार से अधिक लोगो ने सुग्गा गांव तक छोड़ा । बारात की स्वागत के लिए शाही सेना के बैंड भी थे। ज मटिहानी से जलेश्वर तक जगह जगह स्कूली बच्चे तथा स्थानीय ग्रामीणों ने श्री राम जय घोष के साथ स्वागत किया। महिलाएं छत से पुष्प तथा अक्षत फेक कर बारात को स्वागत किया