लखनऊ
पिछले लगभग एक साल से यादव परिवार में चल रही कलह दीपावली पर खत्म होने के बाद समाजवादी पार्टी अब इसकी वजह से संगठन को हुए नुकसान की भरपाई में जुट गई है। इसके लिए जहां निकाय चुनाव में युवाओं को अधिक तरजीह दिए जाने के आसार हैं। अब तक हाशिये पर चल रहे पार्टी के कुछ पुराने नेताओं को भी संगठन की मुख्य धारा में लाया जा सकता है। हाल ही में नियुक्ति किए गए जिलों के प्रभारियों की रिपोर्ट मिलने के बाद पार्टी योजनाबद्ध ढंग से इस काम को अंजाम देने की तैयारी में है।
समाजवादी परिवार में एकता की उम्मीदें आगरा में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद ही दिखने लगी थीं। इस बीच शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच की तल्खी भी कम हुई थी, फिर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन, इस दीपावली पर सैफई में पूरे परिवार के जमावड़े के बाद यह साफ हो गया कि पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की कोशिशें रंग ला चुकी हैं।
सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव की नरमी ने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं कि भले ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चाचा शिवपाल को जगह नहीं दी जा सकी है, लेकिन उनके समर्थकों के लिए रास्ते खुल सकते हैं। निकाय चुनाव के बाद प्रदेशीय कार्यसमिति का गठन किया जाना है और उसमें उनके लिए जगह बनाई जा सकती है। इसके साथ ही पश्चिम के कई उन नेताओं को भी संगठन में महत्वपूर्ण पद दिए जा सकते हैं जो जनाधार रखने के बावजूद राष्ट्रीय कार्यसमिति में स्थान नहीं पा सके हैं। पार्टी के लिए इसमें कोई अड़चन भी नहीं है क्योंकि संविधान में संशोधन करके वह प्रांतीय कार्यसमिति में पदाधिकारियों की संख्या बढ़ा चुकी है।