लखनऊ
बेनामी संपत्ति की सूची तैयार कर रहे आयकर विभाग ने कुछ ऐसे दिलचस्प मामले भी चिह्न्ति किए हैं, जहां आयकर के रिटर्न में दिखाई गई कमाई उस प्रॉपर्टी के किराये से भी कम है, जिसे किसी और के नाम से खरीदा गया है। अब यह बात आयकर अधिकारियों को परेशान कर रही है कि 40 हजार रुपये मासिक वेतन वाले नौकरीपेशा व्यक्ति ने प्रॉपर्टी खरीदने के लिए करोड़ों रुपये आखिर हासिल कहां से किए। ऐसे मामलों में आयकर विभाग पिछले छह साल के रिटर्न भी खंगाल रहा है। नजर उन पर भी है, जिन्होंने अपनी कमाई में पिछले साल के मुकाबले 10 फीसद से अधिक वृद्धि दिखाई है।नोटबंदी के बाद बीते एक साल में काला धन जिन तरीकों से ठिकाने लगाकर बैंकों में लाया गया, उसका कमोबेश पूरा रिकॉर्ड अब रिटर्न की शक्ल में आयकर विभाग के पास पहुंच चुका है।
विभाग अगले दो साल में उन सभी लोगों से एक-एक कर आयकर का हिसाब लेगा, जिन्होंने नोटबंदी के बाद औसतन पांच या 10 लाख रुपये से अधिक रकम अपने बैंक खाते में पहुंचाई है। यह काम तो अब विभाग के कंप्यूटरों में चलता रहेगा, जबकि आयकर अधिकारी एक बार बार फिर ‘मिशन मोड’ में आ गए हैं। इस बार उनकी निगाहें ऐसी संपत्तियां तलाश रही हैं, जिन्हें काला धन लगाकर किसी और के नाम से खरीदा गया है। ऐसी बेनामी संपत्तियों का पता लगाने के लिए बीते अप्रैल में बनाई गई दो यूनिटों ने ऐसे मामलों की सूची तैयार कर ली है। इसमें ज्यादातर नाम नेताओं और अफसरों के हैं, जबकि कुछ पत्रकार और अन्य लोग भी इस सूची में मौजूद हैं।
आयकर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बेनामी संपत्ति पकड़े जाने पर यह प्रॉपर्टी तो जब्त की ही जाएगी, कमाई का स्नोत भी बताना पड़ेगा। स्नोत नहीं बताया तो जेल हो सकती है और स्नोत बताया तो आयकर अधिकारी इसी औसत से बीते छह साल तक का हिसाब जोड़ सकते हैं। बीते छह साल के रिटर्न उन लोगों के भी खंगाले जा सकते हैं, जिन्होंने नोटबंदी के बाद अचानक अपनी कमाई पिछले साल के मुकाबले इस बार 10 फीसद से अधिक वृद्धि के साथ दिखाई है।