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CBI विवाद पर पूर्व CJI आरएम लोढ़ा ने पूछा- बिना स्वतंत्रता के तोता कैसे उड़ेगा

नई दिल्ली
सीबीआई विवाद को लेकर काफी गहमा गहमी बढ़ गई है। केंद्र की मोदी सरकार ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा को उनके पद से हटाकर उन्हें फायर सर्विस का निदेशक बना दिया था। जिसके बाद उन्होंने (वर्मा ने) डीजी फायर सर्विस का चार्ज लेने से इनकार करते हुए इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा था कि उनके मामले में प्राकृतिक न्याय को समाप्त कर दिया है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने टिप्पणी की है।
जस्टिस लोढ़ा ही वह शख्स है जिन्होंने सीबीआई के लिए पिंजरे में कैद तोता शब्द को गढ़ा था क्योंकि जांच एजेंसी को सरकार की इच्छाओं की गुलाम है। जस्टिस लोढ़ा ने कहा, तोता तब तक आसमान में पूरी तरह से नहीं उड़ सकता जब तक उसे खुला नहीं छोड़ा जाएगा। समय आ गया है जब कुछ किया जाना चाहिए और होनो चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सीबीआई उच्चस्तरीय जांच एजेंसी बन सके। इस स्वतंत्रता को कैसे सुरक्षित किया जाए इसपर उन्होंने कहा,
ऐसी विधियां और तरीके हैं जिनके द्वारा यह किया जा सकता है। हर सरकार सीबीआई का प्रयोग करती है और उसे प्रभावित करती हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यह मामला न्यायालय के अधीन है। यह कोयला घोटाले के दौरान सामने आया था और इसके बाद यह जारी रहा। कोर्ट के जरिए या फिर किसी और माध्यम से सीबीआई की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

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