चंडीगढ़
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एलान किया है कि कोरोना संकट के कारण राज्य के सरकारी स्कूल शैक्षिक सत्र 2020-21 के लिए विद्यार्थियों से कोई भी दाखिला फीस, री-एडमिशन और ट्यूशन फीस नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि जहां तक निजी स्कूलों के फीस लेने का संबंध है, राज्य सरकार पहले ही अदालत जा चुकी है। लेकिन सरकारी स्कूलों द्वारा पूरे साल के लिए कोई भी फीस नहीं ली जाएगी। कैप्टन ने यह एलान फेसबुक पर ‘कैप्टन से सवाल’ प्रोग्राम के दौरान किया। मुख्यमंत्री द्वारा ओपन स्कूल प्रणाली के अंतर्गत 10वीं कक्षा के 31000 विद्यार्थियों के लिए 11वीं कक्षा में अस्थायी दाखिले का भी एलान किया गया, जो आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था न होने के कारण कोरोना संकट के बीच प्रमोट नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इन विद्यार्थियों को 11वीं कक्षा में अस्थायी दाखिले देने का फैसला किया गया है, लेकिन हालात सामान्य होने पर इनके लिए परीक्षाएं देना जरूरी होगा। उन्होंने 12वीं कक्षा में 98 फीसदी अंक हासिल करने वाले 335 विद्यार्थियों के लिए प्रति विद्यार्थी 5100 रुपये के नकद इनाम देने की भी घोषणा की। इस साल फिर निजी स्कूलों को पीछे छोड़ने पर सरकारी स्कूलों को मुबारकबाद देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों की 94.32 पास फीसद स्कूल बोर्ड के इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा है। कोविड संकट के कारण पैदा हुए विपरीत हालात के बावजूद मेहनत करने वाले अध्यापकों, स्टाफ और विद्यार्थियों के सिर इसका सेहरा बांधते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि इस साल सरकारी स्कूलों के दाखिलों में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है। फतेहगढ़ साहिब के खमाणों के दुकानदार मनप्रीत सिंह की सहायता संबंधी विनती पर सीएम ने कहा कि वह डीसी से कहेंगे कि गार्डन वैली इंटरनेशनल स्कूल से बात कर बेटी का दाखिला करवाएं। मनप्रीत ने बताया कि सालाना फीस की अदायगी न होने के कारण स्कूल ने उसकी बेटी का नाम काट दिया। कैप्टन ने कहा कि कोई भी स्कूल विद्यार्थियों को इस तरह निकाल नहीं सकता। उन्होंने कहा कि यदि ज़रूरत पड़ी तो ऐसा करने वाले किसी भी स्कूल पर कार्रवाई की जा सकती है।