नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच चल रहे तनातनी के बीच भारत ने भी चीन की हर गतिविधि पर नजर ऱखनी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने चीन की सैनिक गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए अपने खुफिया उपग्रह को लगा दिया है। दरअसल, भारत का एक जासूस सैटलाइट हाल ही में चीन के कब्जे वाले तिब्बत के ऊपर से गुजरा है। सूत्रों के मुताबिक सैटलाइट ने अच्छी खासी जानकारी जुटाई है। इसी के बाद से चीन में हड़कंप मच गया है। (डीआरडीओ) का यह सैटलाइट EMISAT इंटेलिजेंस इनपुट जुटाने का काम करता है। इसमें एक ELINT यानी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम ‘कौटिल्य’ लगा हुआ है, जिसकी खूबी है कि वह रक्षा क्षेत्र की अहम जानकारियां जुटा सकता है।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि यह सैटलाइट हाल में अरुणाचल प्रदेश के पास स्थित तिब्बत के उस हिस्से के ऊपर से गुजरा है, जो तीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कब्जे में है। सूत्रों के मुताबिक, चीन ने डेप्सांग सेक्टर में भी अपने सैनिक जुटाए हैं। चीनी सैनिकों को एलएसी के पास गड्डा खोदते देखा जा सकता है। इससे पहले पीएलए ने 2013 में भी डेप्सांग में घुसपैठ की थी। शुक्रवार को सूत्रों ने बताया कि भारत के रेडार सैटलाइट RISAT-2BR1 चीन के पीप्लस लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) के जिबूती बेस (अफ्रीका) के ऊपर से गुजरा था। जिबूती नेवी बेस चीन का इकलौता ऐसा बेस है, जो देश के बाहर है। हाल ही में ऐसी खबरें भी आई थीं कि चीन ने जिबूती के पास अपने तीन युद्धपोत तैनात किए हैं। इससे पहले भी भारत के सैटलाइट EMISAT के ELINT ने पाकिस्तान नेवी के ओर्मारा बेस (जिन्ना नवल बेस) के ऊपर चक्कर लगाया था।
इस बेस के बारे में कहा जाता है कि यहां चीन के सहयोग से पाकिस्तान ने सबमरीन जुटा रखी हैं। हालांकि, भारत और चीन के बीच वार्ता जारी है लेकिन ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर आगामी सर्दियों तक भारत के खिलाफ कश्मीर और लद्दाख में दोहरी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं।
भारत ने चीन को उसी की चाल से घेरा है तो चीन एकदम बिलबिला पड़ा है और उसने अपनी सेना जुटानी शुरू कर दी है। इसरो के बनाए EMISAT का ELINT सिस्टम दुश्मन के क्षेत्र में ट्रांसमिशन के लिए इस्तेमाल होने वाले रेडियो सिग्नल्स को पढ़ लेता है। लद्दाख में पैंगोंग सो के फिंगर 4 को लेकर हुई भारत-चीन की बातचीत के बेनतीजा होने के एक ही दिन बाद यह सैटलाइट गुजरने से चीन में हड़कंप मच गया है। हालांकि, अभी दोनों देश लद्दाख विवाद पर और वार्ता करने को तैयार हैं।