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मुंबई एयरपोर्ट घोटाला: ईडी ने मुंबई और हैदराबाद के ठिकानों पर की छापेमारी

मुंबई/हैदराबाद
मुंबई एयरपोर्ट घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। बताया जा रहा है कि ईडी ने हैदराबाद और मुंबई में इस संबंध में छापेमारी की है। इस मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। यह मामला मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक ईडी ने इस मामले में 9 केस दर्ज किये हैं। जिसके बाद अब मुंबई और हैदराबाद में छापेमारी की जा रही है। बताया जा रहा है की GVK ग्रुप के चेयरमैन संजय रेड्डी के आवास पर भी छापेमारी की गई है। इसके अलावा इस ग्रुप से जुड़ी 9 अन्य कंपनियों पर भी यह छापेमारी की गई है। बता दें कि मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को री-डेवलप करने के लिए करीब 200 एकड़ भूमि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से GVK ग्रुप को दी गई थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान बोगस कॉनट्रैक्ट साइन किया गया और करीब 800 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। इस मामले में 27 जून को सीबीआई ने GVK ग्रुप के चेयरमैन संजय रेड्डी और MIAL के मैनेजिंग डायरेक्टर GV Sanjay Reddy के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया था। सीबीआई ने इस मामले में छापेमारी भी की थी। इस घोटाले के संबंध में जो जानकारी अब तक सामने आई है उससे पता चलता है कि साल 2006 में मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के री-डेवलमेंट के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और जीवीके ग्रुप के तहत समझौता हुआ था। यह समझौता मुंबई एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण, अपग्रेडेशन और मेंटेंनस के लिये था। तय हुआ था कि इस समझौते के तहत 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी जीवीके के पास और 26 प्रतिशत एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास थी, बाकी दूसरी कंपनियों के पास थी। नियम के मुताबिक, कमाई का हिस्सा पहले एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास जाना था और बाद में जीवीके ग्रुप के पास। लेकिन आरोप है कि इस पूरे मामले में जीवीके ग्रुप और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने मिलकर एयरपोर्ट पर किये गये काम को कागजों में बढ़ा कर दिखाया यानी खर्चा ज्यादा दिखाया, जबकि हकीकत में काम काफी कम किया गया था। इसके अलावा बिना किसी टेंडर के एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 200 एकड़ जमीन रख-रखाव के लिये दे दी और उस पर जो काम होना था उसमें भी फर्जीवाड़ा किया गया। यह भी बताया जाता है कि जीवीके ग्रुप के सदस्यों को इस टेंडर से जुड़े काम काफी कम कीमत पर दे दिये गये। एयरपोर्ट अथॉरिटी को काफी कम शेयर मिले। यह भी कहा जा रहा है कि जांच के बाद यह घोटाला और भी बड़ा हो सकता है।

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