- इस वर्ष 25 सितम्बर को सोमनाथ से अयोध्या रामरथ यात्रा को पूरे 30 साल होंगे…
- 5 अगस्त को, जब सभी मिडिया में एक ही नाम होगा-रामजी की निकली सवारी…”लाल”जी की लीला है न्यारी….!!
- भाजपा को जिताने के लिये अडवाणी-जोषीजी अब स्टार प्रचारक की सूचि में क्यों नहीं…..क्या वे अब स्टार नहीं है….?
- पार्टी में कभी जिनका सिक्का चलता था वह अडवाणीजी को मार्गदर्शक मंडल में बिठा रखा है…
प्रविण घमंडे
इस वर्ष 25 सितम्बर को सोमनाथ से अयोध्या रामरथ यात्रा को पूरे 30 साल होंगे. तीन दशक. मानो कि एक पूरी पिढी. भाजपा के कई नवयुवा विधायक और सांसदो का तो शायद जन्म भी नहीं हुआ होंगा. आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी उस रथ यात्रा में उस वक्त के भाजपा के सुप्रिमो एल.के. अडवाणीजी के सारथी बने थे. तत्कालिन प्रधानमंत्री वीपीसिंगने मंडल कमिशन लागू कर 27 फिसदी आरक्षण की घोषणा करते ही मंडल के खिलाफ कमंडळ का नारा देकर संघ परिवार, वीएचपी और भाजपाने उसे रोकने के लिये अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिये अडवाणीजी को आगे किया. वे 25 सितम्बर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से अपने चहेते सारथी मोदीजी की अगुवाइ में चल पडे अयोध्या में विवादित मंदिर बनाने के लिये……. पूरे देशमें हलचल मच गई थी. चारों ओर राम मंदिर की लहर चल रही थी. मिडिया में और राजनीति में बस एक ही अडवाणीजी छाये हुये थे.
रथयात्रा बिहार के समस्तिपुर पहुंची तब बिहार के मुख्यमंत्री लालाप्रसाद यादवने रथयात्रा को रोक ली और अडवाणीजो को गिरफतार कर सर्कीट हाउस में कैद कर दिया. उसका रिएकश्न भी पडा. भाजपाने वीपीसिंग का समर्थन वापिस ले लिया और वीपी वीआईपी से आम हो गये थे. कई जगह दंगे की कुछ वारदाते भी हुई थी.
5 अगस्त 2020 को अयोध्या में उसी विवादित भूमि पर सुप्रिम कोर्ट के आदेश के बाद भव्य राममंदिर बनने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी समेत करीब 200 महानुभाव की उपस्थिति में राम मंदीर की नींव रखी जायेगीं. वैसे ते राजीव गांधी की उपस्थितिमें उसी जगह पहले भूमिपूजन हो चुका है, और उसकी तस्वीरें भी वाइरल हो रही है.
हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह अडवाणीजी से मिलने गये थे. 1990 में रामरथयात्रा शरू हुइ तब अमित शाह 29 साल के थे और भाजपा की राजनिति में हो सकता है की नये नये होंगे. राजनिति नशीब का चक्र देखिये रामरथयात्रा के वक्त 29 साल के अमित शाह आज देश के गृहमंत्री है. कभी अडवाणीजी देश के गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री हुआ करते थे. भाजपा में उनके नाम के सिक्के पडते थे. उनका आदेश उस वक्त मोदीजी भी सरआंखो पर लगाते थे. लेकिन आज अडवाणीजी कहां है…ऐसा सवाल दिल्ही की राजनीति में इसलिये किया जा रहा है क्योंकि जीसकी बदौलत आज राममंदिर की नींव रखी जा रही है उस ऐतिहासिक समारोह में शरिक होने के लिये अडवाणीजी को प्रेमभरा न्योता सरकार या भाजपा या मंदिर निर्माण न्यास द्वारा भेजा गया या नहीं. आखिर ये सवाल होना लाजिम भी है, क्योंकि उन्हो ने ही राम मंदिर आंदोलन को आगे बढाने के लिये सब से ज्यादा समय और योगदान दिया, ये कहना है भाजपा के कुछ वरिष्ठ सूत्रो का.
वे कहते है कि समय की बलिहारी देखिये, पार्टी में कभी जिनका सिक्का चलता था वह अडवाणीजी को मार्गदर्शक मंडल में बिठा रखा है, उनके अन्य समकालिन साथी मुंरली मनोहर जोषी के साथ. अब मार्गदर्शक मंडल के इस नेताओं से भाजपा ने धारा 370 दूर करने के लिये सलाह ली थी….? राममंदिर के लिये कोर्ट कारवाई में अडवाणीजी से कुछ सलाहमशवरा किया गया था..?, सीएए, एनआरसी के मामले में ये दो सिनियरमोस्ट नेताओं से कुछ पूछा गया था क्या….? भाजपा को जिताने के लिये इन नेताओं को अब स्टार प्रचारक की सूचि में क्यों नहीं…..क्या वे अब स्टार नहीं है….?
राममंदिर के लिये जेल जानेवाले अडवाणीजी को भी 5 अगस्त को समारोह में हाजिर देखना चाहते है भाजापा के और संघ परिवार के कई सिनियर नेता. और ये उनका अधिकार भी है. हो सकता है कि भाजपा और राममंदिर न्यास ने अडवाणीजी-जोषीजी को न्योंता भेजा हो लेकिन उसकी घोषणा समय आने पर हो सकती है. राममंदिर के लिये जितना समय अडवाणीजी-अशोक सिंघलजी ने दिया उतना तो हाल में एनडीए सरकार में कई मंत्रीयोंने नहीं दिया होगा. स्मृति इरानी तो 1990 में कुछ टीवी सरियल में काम कर रही होंगी. प्रकाश जावडेकर, रविशंकर प्रसाद, पियुष गोयल और निर्मलाजी तो मालुम नहीं कहां थे राम मंदिर यात्रा के वक्त. लेकिन वकत का तकाजा देखिये जनाब, आज वें केन्द्र में मंत्रीस्थान पर है और राममंदिर आंदोलन के लिये बरसों की तकस्या करनेवाले अडवाणीजी दिल्ही में अपने घर के एक कोने में मौन धारण कर बैठे है. उनके परिवार में गांधीनगर से न तो किसी को टिकिट दी गई ना तो पार्टी संगठन में कोइ स्थान.
हो सकता है कि वे अपने मन में कइ बातें , कई राझ, कई अवमान का जहर पी कर बैठे है और समय आने पर, एक के बाद…एक के बाद…..! नाजी, ना. वे शंकर की तरह अपने कंठ में जहर संजोये बैठे है. हो सकता है कि समय का पहिया ऐसेE घूमे कि फिर एकबार भाजपा में उनकी बोलबाला हौ.
5 अगस्ट को टीवी मिडिया में देखने को मिलेंगा कि रामरथयात्रा के मुखिया अडवाणीजी अयोध्या समारोह में है या नहीं, है तो स्थान कहां मिला( हो सकता है कि मंच पर भी बिराजमान हो), तो आइये इन्तेजार करते है 5 अगस्त का, जब सभी मिडिया में एक ही नाम होगा-रामजी की निकली सवारी…”लाल”जी की लीला है न्यारी….!!